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भारत से मुंह की खाने के बाद अब पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन जुटाने की नाकाम कोशिश, इन देशों में भेजा प्रतिनिधिमंडल

पाकिस्तान ने पहलगाम हमले के बाद वैश्विक दबाव से बचने के लिए कूटनीतिक अभियान शुरू किया, लेकिन भारत की मजबूत प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय समर्थन के चलते उसे सफलता नहीं मिली. भारत ने आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई कर स्पष्ट संदेश दिया, जबकि पाकिस्तान को FATF, G7 और मलेशिया जैसे मंचों पर सीमित समर्थन मिला.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व में पाकिस्तान ने अनुभवी राजनेताओं और पूर्व राजनयिकों के समर्थन से दुनिया भर की कई राजधानियों में दो राजनयिक मिशन शुरू किए हैं. पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के अनुसार, इन मिशनों का उद्देश्य "हाल ही में हुए भारतीय आक्रमण पर पाकिस्तान के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करना" और टकराव के बजाय बातचीत का आह्वान करना है.

नौ सदस्यीय पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल इस समय न्यूयॉर्क, वाशिंगटन डीसी, लंदन और ब्रुसेल्स की यात्रा कर रहा है. पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में इस दल में संघीय मंत्री मुसादिक मलिक, पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार और खुर्रम दस्तगीर खान जैसे प्रमुख व्यक्ति और पूर्व विदेश सचिव जलील अब्बास जिलानी और तहमीना जंजुआ जैसे नौकरशाह शामिल हैं.

प्रधानमंत्री के विशेष सहायक सैयद तारिक फातमी के नेतृत्व में एक दूसरी टीम मास्को भेजी गई है. इस्लामाबाद स्थित विदेश कार्यालय ने कहा है कि प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान के दृष्टिकोण पर जोर देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं, थिंक टैंकों, प्रवासी समुदाय और प्रमुख सरकारी अधिकारियों से मुलाकात करेगा.

पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान घुटनों पर

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 नागरिक मारे गए थे, जिसके लिए भारत ने सीधे तौर पर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद को जिम्मेदार ठहराया था. इस हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया. 7 मई को भारत ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार स्थित आतंकी शिविरों पर सटीक निशाना साधा, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के अंदरूनी इलाके भी शामिल थे.

पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारत के सैन्य बेस को निशाना बनाने की कोशिश की. इन हमलों को नाकाम कर दिया गया, जबकि भारत ने पूरी हवाई श्रेष्ठता बरकरार रखी. 10 मई को दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच सैन्य संवाद के बाद शत्रुता समाप्त हो गई, जिससे नियंत्रण रेखा पर एक नाजुक शांति बहाल हो गई.

मलेशिया में पाकिस्तान की कूटनीतिक विफलता

समानांतर मोर्चे पर, पाकिस्तान ने इस्लामी एकजुटता का हवाला देकर और स्थानीय अधिकारियों पर निर्धारित कार्यक्रम रद्द करने के लिए दबाव डालकर भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल की मलेशिया यात्रा को पटरी से उतारने की कोशिश की. यह प्रयास असफल रहा.

जेडीयू सांसद संजय झा के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में भाजपा, कांग्रेस, सीपीएम, टीएमसी और अन्य दलों के प्रतिनिधि शामिल थे, जिन्होंने बिना किसी बाधा के अपना राजनयिक मिशन पूरा किया. यह सीमा पार आतंकवाद के लिए पाकिस्तान के समर्थन को उजागर करने और अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने के लिए संघर्ष के बाद भारत के कूटनीतिक हमले का हिस्सा था.

इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान, सिंगापुर और मलेशिया में प्रतिनिधिमंडल की बैठकों में उच्च स्तरीय बैठकें और सार्वजनिक कूटनीति शामिल थी जिसका उद्देश्य इस्लामाबाद के दुष्प्रचार का मुकाबला करना था. रिपोर्ट के अनुसार कश्मीर मुद्दे को उठाने के पाकिस्तान के प्रयास किसी भी मेजबान सरकार के साथ सफल नहीं हो पाए.

संयुक्त राष्ट्र, जी7 और एफएटीएफ

अपनी पहुंच के बावजूद, पाकिस्तान के कूटनीतिक प्रयासों को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सीमित ठोस समर्थन ही मिला है.FATF प्रतिबंधों पर कोई प्रगति नहीं हुई है. पाकिस्तान अभी भी ग्रे लिस्ट में बना हुआ है, और भारत की ब्लैक लिस्ट में डालने की मांग आगे नहीं बढ़ पाई है. जी-7 ने पाकिस्तान की समन्वित निंदा नहीं की है, जबकि कुछ सदस्य देशों ने आतंकवाद की निंदा करते हुए सामान्य बयान दिए हैं, लेकिन किसी ने भी सीधे तौर पर इस्लामाबाद की निंदा नहीं की है.

भारत को पांच साल में पहली बार जी7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया है. हालांकि भारत जी7 का सदस्य नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 से सभी शिखर सम्मेलनों में भाग लिया है. कनाडा द्वारा आयोजित इस वर्ष का शिखर सम्मेलन भारत-कनाडा संबंधों में तनाव के कारण प्रभावित है, जिसमें पिछले साल ब्रिटिश कोलंबिया में एक सिख अलगाववादी की हत्या से भारत को जोड़ने के आरोप भी शामिल हैं. पाकिस्तान 2025 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता करेगा और 15 देशों वाले संयुक्त राष्ट्र निकाय की आतंकवाद-रोधी समिति का उपाध्यक्ष होगा.

भारतीय प्रतिनिधिमंडल की आवाज़ें

अपनी वापसी के बाद बोलते हुए संजय झा ने कहा कि वैश्विक प्रतिक्रिया पहलगाम आतंकी हमले की 'स्पष्ट निंदा' और भारत के कथन के लिए "व्यापक समर्थन" थी. झा ने कहा, "चार या पांच महत्वपूर्ण बिंदु उभर कर सामने आए. सबसे पहले, पूरा देश एकजुट है. दूसरे, हमने जिन देशों का दौरा किया, उन सभी ने आतंकवाद की कड़ी निंदा की. तीसरे, भारत ने संयम के साथ केवल आतंकवादी ढांचे को ही निशाना बनाया. चौथे, जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य हो रही है, उड़ानें फिर से शुरू हो रही हैं और पहलगाम में कैबिनेट की बैठकें हो रही. 

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05 June 2025, 04:58 PM IST

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