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सिंधु जल समझौता खत्म होने के बाद पाकिस्तान में बढ़ा जल संकट, मानसून से पहले किसान फसलों को लेकर चिंतित

भारत द्वारा 1960 की सिंधु जल संधि निलंबित करने से पाकिस्तान को सिंधु नदी प्रणाली से मिलने वाले पानी में 13.3% कमी आई है, जिससे पंजाब प्रांत की खरीफ फसल प्रभावित हुई है. पाकिस्तान ने इस निर्णय का विरोध किया है, लेकिन भारत ने आतंकवाद के कारण पुनर्विचार से इनकार किया है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

पाकिस्तान सरकार की एक ताज़ा रिपोर्ट में बताया गया है कि 1960 की सिंधु जल बंटवारा संधि को भारत द्वारा निलंबित करने के बाद, सिंधु नदी प्रणाली से पाकिस्तान को मिलने वाले पानी में लगभग 13.3 प्रतिशत की कमी आई है. यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच जल संसाधनों के उचित वितरण को सुनिश्चित करती थी. हाल ही में भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में इस संधि को रोक दिया, जिससे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहे किसानों को भारी नुकसान हुआ है.

पानी की कमी के आंकड़े

पाकिस्तान के सिंधु नदी प्रणाली प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार, 5 जून 2025 को सिंधु बेसिन से बांधों में 124,500 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो पिछले साल इसी तारीख को छोड़े गए 144,000 क्यूसेक पानी से काफी कम है. यह कमी किसानों के लिए चिंताजनक है क्योंकि सिंधु नदी की सहायक नदियां जैसे रावी, झेलम और चेनाब, जो पंजाब के कृषि क्षेत्र के लिए मुख्य जल स्रोत हैं, भारत के नियंत्रण में हैं.

खरीफ फसलों पर प्रभाव

विशेषज्ञों के अनुसार, इस पानी की कमी का सीधा असर खरीफ (मानसूनी) फसलों की बुआई पर पड़ेगा. मानसून की बारिश से स्थिति में सुधार संभव है, लेकिन मानसून के आने तक पंजाब प्रांत की फसलें गंभीर संकट में हैं. केंद्रीय जल आयोग के पूर्व अध्यक्ष ए.के. बजाज ने बताया कि मानसून आमतौर पर जून के अंत या जुलाई की शुरुआत में पहुंचता है, जिससे तब तक जल संकट और गहरा सकता है.

जल संकट के कारण 

भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद अपनी रणनीति के तहत सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, जिससे पश्चिमी नदियों का पानी पाकिस्तान को सीमित मात्रा में मिल रहा है. इससे न केवल पानी की आपूर्ति में कमी आई है बल्कि भारत को अब सिंधु नदी प्रणाली में जल स्तर के आंकड़े साझा करने की आवश्यकता नहीं है, जिससे बाढ़ का खतरा भी बढ़ गया है. मानसून के दौरान जब नदियाx उफान पर होती हैं, तो जानकारी न मिलने की वजह से पाकिस्तान को आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है.

पाकिस्तान का विरोध 

पाकिस्तान ने इस निलंबन पर तीखी आपत्ति जताई है और चार बार भारत को पत्र लिखकर इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. ये पत्र पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को भेजे थे, लेकिन भारत की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि भारत तब तक इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं करेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करता रहेगा.

सिंधु नदी समझौते का महत्व

सिंधु नदी समझौते में भारत के पास पूर्वी नदियां सतलुज, व्यास और चिनाब, तथा पश्चिमी नदियां रावी, झेलम और सिंधु हैं. संधि के तहत पूर्वी नदियां भारत के अधिकार में हैं जबकि पश्चिमी नदियां पाकिस्तान को आवंटित की गई हैं. भारत को पश्चिमी नदियों के जल का सीमित उपयोग करने की अनुमति है, बशर्ते इससे पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति प्रभावित न हो.

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09 June 2025, 07:31 PM IST

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