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यूक्रेन के खनिज अब अमेरिका के कब्जे में, जानिए क्या है इसके पीछे की असल कहानी?

यूक्रेन की धरती के नीचे छिपे खनिज अब अमेरिका की मुट्ठी में हैं. ट्रंप ने महीनों की कोशिश के बाद आखिरकार डील पक्की कर ली. अब सवाल है–क्या ये डील रूस-यूक्रेन जंग की तस्वीर बदल देगी?

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पिछले कई महीनों से यूक्रेन की धरती के नीचे छिपे खजाने पर नजर गड़ाए बैठे थे. वह खनिज संसाधनों की उस डील को किसी भी हाल में हासिल करना चाहते थे, जो अमेरिका की डूबती अर्थव्यवस्था को नया जीवन दे सकती है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से खींचतान के बाद भी बुधवार को यह ऐतिहासिक डील फाइनल हो गई. अब अमेरिका यूक्रेन से प्राकृतिक खनिजों की सीधी सप्लाई करेगा और बदले में यूक्रेन को युद्ध में मदद मिलेगी.

खनिज डील से अमेरिका को संजीवनी

यूक्रेन की धरती में दुर्लभ प्राकृतिक खनिजों का अथाह भंडार है. अमेरिका की बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज़ को इन खनिजों की जरूरत है. इस डील के जरिए अमेरिका की माइनिंग, टेक्नोलॉजी और डिफेंस इंडस्ट्री को नया बल मिलेगा. अमेरिकी अर्थव्यवस्था, जो इस साल की पहली तिमाही में 0.3% गिर चुकी है, अब इन खनिजों से राहत की सांस ले सकती है. ट्रंप प्रशासन को उम्मीद है कि खनिजों के जरिए अमेरिकी खजाना भरेगा और जीडीपी में फिर उछाल आएगा.

यूक्रेन को पुनर्निर्माण के नाम पर मदद

इस डील के तहत अमेरिका यूक्रेन में एक रीडेवलपमेंट एंड रिकंस्ट्रक्शन फंड बनाएगा. इस फंड से युद्ध प्रभावित यूक्रेनी इलाकों का पुनर्निर्माण किया जाएगा. अमेरिका इसमें या तो सीधे निवेश करेगा या फिर सैन्य मदद के जरिए सहयोग देगा. लेकिन सवाल ये है कि क्या ये मदद वाकई यूक्रेन के लिए है या फिर अमेरिका के लिए एक निवेश का ज़रिया?

रूस पर कूटनीतिक दबाव

इस समझौते के बाद रूस पर अमेरिका का दबाव और बढ़ जाएगा. क्योंकि अमेरिका अब न केवल यूक्रेन को हथियार देगा, बल्कि खुफिया सूचनाएं भी साझा करेगा. इससे यूक्रेन की सैन्य ताकत को मजबूती मिलेगी और रूस को शांति वार्ता के लिए मजबूर किया जा सकता है. गौरतलब है कि रूस ने हाल ही में बातचीत की इच्छा जताई थी, लेकिन अब यह खनिज डील उस मंशा पर भी भारी पड़ सकती है.

अब जंग सिर्फ बंदूकों से नहीं, खनिजों से भी होगी

ट्रंप की इस चाल ने यह साफ कर दिया है कि अब युद्ध केवल मोर्चे पर नहीं लड़ा जाएगा. अब ज़मीन के नीचे छिपे संसाधन ही असली हथियार बनेंगे. यूक्रेन की खनिज शक्ति अब अमेरिका की जेब में है और रूस को इसका जवाब ज़रूर देना होगा.

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01 May 2025, 12:23 PM IST

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