शहबाज शरीफ के लिए टेंशन बने असीम मुनीर, सेना प्रमुख के कार्यकाल को बढ़ाने से किया किनारा
पाकिस्तान में सेना प्रमुख असीम मुनीर के कार्यकाल को लेकर गहरी अनिश्चितता पैदा हो गई है. तिलक देवाशेर के अनुसार, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जानबूझकर अधिसूचना से बच रहे हैं, जिससे सैन्य नेतृत्व, संवैधानिक व्यवस्था और परमाणु नियंत्रण ढांचा संकट में है.

नई दिल्लीः पाकिस्तान इन दिनों एक बड़े संवैधानिक और सैन्य संकट की बीचोबीच खड़ा है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के पूर्व सदस्य और प्रसिद्ध सुरक्षा विशेषज्ञ तिलक देवाशेर ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जानबूझकर देश से बाहर हैं, ताकि वे फील्ड मार्शल असीम मुनीर को पाकिस्तान का पहला रक्षा प्रमुख (CDF) नियुक्त करने से बच सकें. उनके अनुसार, यह संकट पाकिस्तान की सैन्य कमान और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद चिंताजनक स्थिति पैदा कर रहा है.
शहबाज शरीफ क्यों जा रहे हैं अधिसूचना से दूर?
देवाशेर ने कहा कि जैसे-जैसे 29 नवंबर की समयसीमा नजदीक आई, जब मुनीर का सेना प्रमुख के रूप में तीन साल का मूल कार्यकाल खत्म होना था. शहबाज शरीफ पहले बहरीन गए और फिर लंदन रवाना हो गए. उनकी राय में प्रधानमंत्री जानबूझकर यह कदम उठा रहे हैं ताकि उन्हें मुनीर को पांच साल के लिए CDS और सेना प्रमुख दोनों पदों पर नियुक्त करने वाली अधिसूचना पर हस्ताक्षर न करने पड़ें. देवाशेर के शब्दों में, "वह स्पष्ट रूप से मुनीर को नया पांच वर्षीय कार्यकाल देने से बच रहे हैं."
संवैधानिक शून्यता का खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अधिसूचना जारी नहीं की जाती, तो यह एक संचालनात्मक और संवैधानिक खालीपन पैदा करता है. देवाशेर के अनुसार, पाकिस्तान के पास सेना प्रमुख (Army Chief) नहीं होगा. परमाणु कमान प्राधिकरण (NCA) को भी वैधानिक प्रमुख नहीं मिलेगा. सामरिक बल कमान (Strategic Forces Command) की देखरेख भी अस्पष्ट हो जाएगी. उन्होंने चेताया कि परमाणु हथियार रखने वाला देश बिना सेना प्रमुख और परमाणु कमान नियंत्रण के नहीं रह सकता.
क्या संविधान में संशोधन से हल हो रही है दुविधा?
पाकिस्तान के संशोधित संविधान के तहत, अब सेना प्रमुख का कार्यकाल CDF की नियुक्ति से जुड़ा है और कुल पांच साल का होता है. लेकिन इस पर कानूनी विशेषज्ञ बंटे हुए हैं. क्या नई अधिसूचना ज़रूरी है या मौजूदा कानून खुद-ब-खुद लागू हो जाएगा?
दो मत सामने आए हैं
नई अधिसूचना अनिवार्य है
तभी सेना प्रमुख और CDF का पांच वर्षीय कार्यकाल वैध होगा.
अधिसूचना की जरूरत नहीं
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 के आर्मी एक्ट संशोधन में "Deeming Clause" होने के कारण यह माना जाएगा कि पांच साल का प्रावधान हमेशा से लागू था, इसलिए मुनीर का कार्यकाल स्वतः बढ़ जाएगा. देवाशेर का कहना है कि यही कानूनी अस्पष्टता मुनीर की स्थिति को कमजोर कर रही है.
पाकिस्तानी सेना में बढ़ रही अंदरूनी खींचतान
देवाशेर के मुताबिक, इस अनिश्चितता ने सेना के भीतर प्रतिस्पर्धा को हवा दे दी है. अन्य वरिष्ठ जनरल नई चार-स्टार पोस्टों या सेना प्रमुख के पद के लिए सक्रिय रूप से लॉबिंग कर रहे हैं. इससे सैन्य नेतृत्व में असहज माहौल बन गया है और शीर्ष स्तर पर शक्ति संघर्ष तेज हो गया है.
प्रधानमंत्री की गैरमौजूदगी से बढ़ा संस्थागत संकट
देवाशेर ने चेतावनी दी कि शहबाज शरीफ की विदेश में मौजूदगी स्थिति को और जटिल बना रही है. उनके अनुसार, "सरकार की चुप्पी और लंबित अधिसूचना ने पाकिस्तान को सैन्य कमान के शीर्ष पर अस्पष्टता में धकेल दिया है."
यह स्थिति इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि पाकिस्तान की सुरक्षा, आंतरिक स्थिरता और परमाणु नियंत्रण ढांचा इसी सैन्य शीर्ष नेतृत्व पर निर्भर करता है.


