शेख हसीना को मिलेगी सजा-ए-मौत? बांग्लादेश में तेजी से बढ़ रही है साजिशों की आंच, समझिए पूरा मामला
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह चुनाव, विकास या भारत से रिश्ते नहीं बल्कि एक बेहद गंभीर और चौंकाने वाला मामला है. देश के भीतर कट्टरपंथी संगठन और विपक्षी धड़े शेख हसीना के खिलाफ ऐसा माहौल बना रहे हैं, जिसे देखकर यह सवाल उठने लगा है कि क्या उन्हें साजिश के तहत कानूनी शिकंजे में कसा जा रहा है? क्या वाकई उन्हें मौत की सजा तक की साजिश रची जा रही है?

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर अब अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने गंभीर आरोप लगाए हैं. ICT के अभियोजन पक्ष का कहना है कि जुलाई 2023 में देशभर में हुए जन-विद्रोह को बेरहमी से कुचलने के दौरान शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किए. आरोप है कि उन्होंने न सिर्फ पुलिस कार्रवाई का आदेश दिया, बल्कि हिंसा और सामूहिक हत्याओं को भी उकसाया. अगर ये आरोप साबित होते हैं, तो शेख हसीना को मौत की सजा भी सुनाई जा सकती है.
इस बीच शेख हसीना भारत में रह रही हैं और बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार उन्हें वापस लाने की कोशिशों में जुटी है. भारत सरकार ने इस पर अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन इस घटनाक्रम ने भारत-बांग्लादेश के रिश्तों पर भी गहरा असर डाला है.
शेख हसीना पर गंभीर आरोप
रविवार को पेश किए गए आरोप-पत्र में शेख हसीना के साथ पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी मामून को भी सह-आरोपी बनाया गया है. तीनों पर आरोप है कि जुलाई और अगस्त 2023 में हुए जन-आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस बल का दुरुपयोग किया गया और जानबूझकर आम नागरिकों पर गोलीबारी करवाई गई.
12 मई को पेश हुई थी जांच रिपोर्ट
इससे पहले 12 मई को जांचकर्ताओं ने एक विस्तृत रिपोर्ट ट्रिब्यूनल के सामने रखी थी, जिसमें दावा किया गया था कि हसीना ने खुद हिंसक कार्रवाई के आदेश दिए. रिपोर्ट के मुताबिक, उस दौरान पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी, जिनमें बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी और छात्र शामिल थे.
‘पाकिस्तानी युद्ध अपराध ट्रिब्यूनल’ अब शेख हसीना के खिलाफ
ध्यान देने वाली बात यह है कि ICT की स्थापना मूल रूप से पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध के बाद युद्ध अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए की गई थी. इस ट्रिब्यूनल ने पहले भी कई जमात-ए-इस्लामी और BNP नेताओं को फांसी की सजा सुनाई है. अब इसी ट्रिब्यूनल के तहत शेख हसीना के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार कर रही प्रत्यर्पण की मांग
जन-विद्रोह और सैन्य तख्तापलट के बाद शेख हसीना भारत में हैं. बांग्लादेश की नई यूनुस सरकार लगातार भारत से उनकी वापसी की मांग कर रही है, ताकि उन पर मुकदमा चलाया जा सके. लेकिन भारत सरकार ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर असर
शेख हसीना के शासनकाल में भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध मजबूत थे. लेकिन नई यूनुस सरकार के आने के बाद यह समीकरण बदलता नजर आ रहा है. यूनुस सरकार का झुकाव चीन और पाकिस्तान की ओर दिख रहा है, जबकि भारत अब इस नई सत्ता के साथ अपनी रणनीति पर पुनर्विचार कर रहा है.
आपको बता दें कि शेख हसीना के लिए यह सिर्फ कानूनी संकट नहीं, राजनीतिक भविष्य का सवाल है. अगर आरोप साबित होते हैं, तो बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. शेख हसीना, जिनका एक दौर में देश की सबसे शक्तिशाली नेता के रूप में नाम लिया जाता था, आज अपने ही देश में इंसाफ के कटघरे में खड़ी हैं. उनकी भारत में मौजूदगी और ICT द्वारा लगाया गया यह आरोप न केवल उनके राजनीतिक भविष्य बल्कि भारत-बांग्लादेश रिश्तों को भी प्रभावित कर सकता है.


