खून या पानी” बोलने वाला अब शांति का पुजारी! बिलावल की चाल में कौन-सी चालाकी?
पहलगाम हमले के बाद जंग की भाषा बोलने वाले बिलावल भुट्टो अब भारत से दोस्ती की बात कर रहे हैं। शांति, सहयोग और साझेदारी की अपील कर रहे हैं। क्या ये बदला रुख असली है?

India-Pakistan Relations: पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने भारत के खिलाफ अपनी तीखी बयानबाजी के बाद एक बार फिर से रुख बदल लिया है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बीच बिलावल ने पहले सिंधु जल संधि को लेकर युद्ध की धमकी दी थी. लेकिन अब उन्होंने शांति और सहयोग की बात करते हुए आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त लड़ाई का प्रस्ताव रखा है। इस्लामाबाद में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बिलावल ने भारत के साथ ऐतिहासिक साझेदारी की वकालत की और कहा कि दोनों देशों को मिलकर आतंकवाद जैसे वैश्विक संकट से निपटना चाहिए।
पहलगाम हमले के बाद बढ़ा तनाव
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे. इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और जवाबी कार्रवाई के तौर पर ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया. जिसमें सैकड़ों आतंकवादी मारे गए। जिसके बाद भारत ने यह साफ कर दिया कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद पर लगाम नहीं लगाएगा, कोई बातचीत संभव नहीं है।
बिलावल का शांति की नया तरकीब
पहलगाम हमले के बाद बिलावल ने पहले कहा था. “सिंधु में पानी बहेगा या उनका खून बहेगा,” लेकिन अब उन्होंने अपने तेवर नरम करते हुए कहा, “आइए हम अपनी साझा परंपराओं की ओर लौटें, जो नफरत पर आधारित नहीं हैं, बल्कि सिंधु घाटी सभ्यता की प्राचीन मिट्टी पर आधारित हैं। हाथ बढ़ाना कमजोरी नहीं है. यह समझदारी है। आतंकवाद एक वैश्विक संकट है जिसे स्थायी भविष्य के लिए हराने की जरूरत है।” इस्लामाबाद सम्मेलन में बिलावल ने भारत के साथ “ऐतिहासिक और अभूतपूर्व साझेदारी” की बात कही।
पाकिस्तान का आतंकवाद से नुकसान
बिलावल ने अपने भाषण में दावा किया कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है और इसके कारण उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के लिए पिछले एक दशक का सबसे हिंसक वर्ष रहा, जिसमें कई सुरक्षाकर्मी मारे गए और जितने भी आतंकी हमले हुए।” उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने अल कायदा, दाएश (ISIS) और टीटीपी जैसे संगठनों के खिलाफ ऑपरेशन ज़र्ब-ए-अज़ब और रद्दुल फसाद जैसे अभियानों के जरिए आतंकवाद को जड़ से खत्म करने की कोशिश की है।
भारत का कड़ा रुख
भारत ने बिलावल के इस यू-टर्न पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन विदेश मंत्रालय ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि “बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते।” भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए आतंकवाद के खिलाफ अपनी “जीरो टॉलरेंस” नीति को और मजबूत किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि सिंधु जल समझौता अब कभी बहाल नहीं होगा। भारत ने यह भी घोषणा की है कि भविष्य में हर आतंकी हमला युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा।


