ब्रिटेन की गलती से अफगान में संकट, 1 लाख जिंदगियों पर मंडरा रहा खतरा, 3 की मौत!
ब्रिटिश सरकार की एक बड़ी भूल ने अफगानिस्तान में हड़कंप मचा दिया है. गोपनीय डेटा तालिबान के हाथों में लग जाने से 1 लाख से ज्यादा लोगों की जिंदगी खतरे में आ गई है. इस लापरवाही की वजह से अब तक तीन लोगों की जान जा चुकी है, और लोग दहशत में जी रहे हैं.

UK Afghan Data Leak: ब्रिटेन की एक गलती ने लगभग 1 लाख अफगान नागरिकों की जान खतरे में डाल दी है. ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय द्वारा एक गोपनीय सूची लीक होने से उन अफगान नागरिकों की पहचान उजागर हो गई है, जो ब्रिटिश सेना और ख़ुफिया एजेंसियों के लिए काम कर रहे थे. अब आशंका जताई जा रही है कि यह सूची तालिबान के हाथ लग गई है, जिससे इन नागरिकों की सुरक्षा पर गंभीर संकट आ गया है. इस घटना के बाद, ब्रिटिश सरकार ने प्रभावित नागरिकों को एक 'सॉरी' नोट भेजा, जिसमें बताया गया कि उनका निजी डेटा लीक हो गया है. यह ब्रिटेन के इतिहास का सबसे बड़ा डेटा उल्लंघन माना जा रहा है, जिसके कारण लगभग 1 लाख अफगान नागरिकों की जान खतरे में पड़ गई है.
तालिबान की ओर से हत्याओं की पुष्टि
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सात दिनों में तीन हत्याएं हो चुकी हैं, जिनका सीधा संबंध ब्रिटेन से था. मारे गए लोगों में से एक व्यक्ति को चार बार गोली मारी गई, जबकि एक महिला को उसके पति के ब्रिटेन से संबंध के कारण सरेआम पीटा गया. इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि तालिबान ने लीक हुई जानकारी का उपयोग कर इन नागरिकों को निशाना बनाया है.
300 से अधिक हत्याओं का रिकॉर्ड
डेली मेल ने 300 से अधिक हत्याओं की सूची देखी है, जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने ब्रिटेन की अफ़ग़ान पुनर्वास योजना (ARAP) के लिए आवेदन किया था. उदाहरण के लिए, ब्रिटिश सेना में काम कर चुके कर्नल शफीर अहमद खान की मई 2022 में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. कमांडो अहमदज़ई और सैनिक कासिम दोनों की अप्रैल 2023 में हत्या कर दी गई थी.
सरकार की चुप्पी और संसद की आलोचना
तालिबानी हत्याओं के बीच, ब्रिटिश सरकार ने ऑपरेशन रूबिफ़िक नामक एक गुप्त निकासी अभियान चलाया, जिसके तहत अगस्त 2023 से अब तक 18,500 अफगान नागरिकों को ब्रिटेन लाया गया. कुल 23,900 लोगों का योजना है. लेकिन लगभग 75,000 अफ़ग़ान अभी भी वहीं फंसे हुए हैं. इन लोगों को सिर्फ़ 'सुरक्षा संबंधी सलाह' ही दी गई है.
ब्रिटेन ने लीक को छिपाए रखा, अब संसद की आलोचना का सामना कर रहा है. तीन संसदीय जांचें शुरू हो चुकी हैं, और सांसद सवाल उठा रहे हैं कि सरकार ने यह बात पहले क्यों नहीं बताई. हैरानी की बात यह है कि अक्टूबर में सरकार ने बिना किसी बहस के 7 अरब पाउंड (₹75,000 करोड़) के खर्च को मंज़ूरी दे दी.


