ताइवान से अरुणाचल तक ‘ग्रेटर चाइना’ का सपना, 2049 की योजना पर पेंटागन रिपोर्ट का बड़ा खुलासा
अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन की रिपोर्ट ने चीन की 2049 तक ‘ग्रेटर चाइना’ बनाने की योजना उजागर की है, जिसमें ताइवान के साथ अब अरुणाचल प्रदेश भी शामिल है.

नई दिल्ली: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2049 तक एक शक्तिशाली ‘ग्रेटर चाइना’ बनाने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहे हैं. अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन की एक ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस रणनीति के तहत चीन अब भारत के अरुणाचल प्रदेश को भी अपने कथित हितों का हिस्सा मानने लगा है. इस खुलासे के बाद भारत की सुरक्षा चिंताएं और गहरी हो गई हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, बीजिंग का रुख इन क्षेत्रों को लेकर बेहद सख्त है. चीन साफ तौर पर मानता है कि जिन इलाकों पर वह दावा करता है, उन पर किसी भी तरह की बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है. पेंटागन की रिपोर्ट यह भी बताती है कि चीन ने अपने ‘मूल हितों’ की सूची को लगातार विस्तार दिया है, जिसमें अब भारत का अरुणाचल प्रदेश भी शामिल हो चुका है.
ताइवान से अरुणाचल तक बढ़ते दावे
पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की नजर केवल ताइवान तक सीमित नहीं है. उसकी ‘कोर इंटरेस्ट’ लिस्ट में दक्षिण चीन सागर, जापान के साथ विवादित सेनकाकू द्वीप और अब भारत का अरुणाचल प्रदेश भी शामिल कर लिया गया है. बीजिंग का मानना है कि इन क्षेत्रों पर उसका दावा अंतिम है और इन पर किसी तरह का समझौता उसकी रणनीति का हिस्सा नहीं है.
रिपोर्ट कहती है कि इन सभी इलाकों को अपने नियंत्रण में लाए बिना चीन 2049 तक ‘ग्रेटर चाइना’ के लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकता. यही वजह है कि वह इन क्षेत्रों को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं दिखता और पड़ोसी देशों के साथ तनाव बना रहता है.
2049 तक ‘ग्रेटर चाइना’ का लक्ष्य
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय का आकलन है कि चीन की यह रणनीति लंबी अवधि की है. 2049 वह साल है जब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करेगी. शी जिनपिंग की सोच है कि तब तक चीन को एक ऐसे वैश्विक शक्ति केंद्र के रूप में स्थापित किया जाए, जहां उसके क्षेत्रीय दावों को पूरी तरह स्वीकार किया जाए.
पेंटागन का कहना है कि इसी सोच के चलते चीन भारत समेत अन्य पड़ोसी देशों के साथ सीमा और क्षेत्रीय विवादों में उलझता रहता है. अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन का ताजा दावा भी इसी बड़ी योजना का हिस्सा माना जा रहा है.
चीन के तीन गैर-समझौता योग्य हित
रिपोर्ट में चीन के तीन ऐसे ‘कोर इंटरेस्ट्स’ का जिक्र किया गया है, जिन पर वह किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करना चाहता. ये हैं -
- चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) का नियंत्रण,
- आर्थिक विकास और आंतरिक स्थिरता,
- क्षेत्रीय दावों की रक्षा और विस्तार.
पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, इन हितों पर किसी भी तरह की चुनौती को चीन सीधे अपनी सत्ता और वैधता पर खतरे के रूप में देखता है. यही कारण है कि वह विरोधी आवाज़ों को सख्ती से दबाने की नीति अपनाता है.
हांगकांग, तिब्बत और ताइवान पर सख्त नजर
रिपोर्ट में कहा गया है कि CCP हांगकांग, शिनजियांग, तिब्बत और ताइवान में उठने वाली विरोधी आवाज़ों को ‘अलगाववादी’ करार देता है. चीन का दावा है कि ये आवाजें विदेशी ताकतों से प्रेरित हैं और उसकी सत्ता के लिए अस्वीकार्य खतरा पैदा करती हैं.
LAC पर नरमी, लेकिन अविश्वास कायम
पेंटागन की रिपोर्ट यह भी बताती है कि अक्टूबर 2024 में भारत और चीन के बीच LAC पर बचे हुए टकराव वाले इलाकों से पीछे हटने पर सहमति बनी थी. इसके बाद ब्रिक्स समिट के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात हुई. दोनों देशों के बीच मासिक उच्च-स्तरीय बातचीत, डायरेक्ट फ्लाइट्स, वीजा सुविधा और अकादमिक व मीडिया एक्सचेंज पर चर्चा शुरू हुई.
हालांकि, रिपोर्ट साफ करती है कि चीन LAC पर तनाव कम कर भारत-अमेरिका संबंधों को गहराने से रोकना चाहता है. वहीं भारत चीन की मंशा को लेकर अब भी सतर्क है. पेंटागन का आकलन है कि आपसी अविश्वास और पुराने विवादों के चलते भारत-चीन रिश्तों में फिलहाल सीमित सुधार ही संभव है.


