चीन की दोस्ती से मालदीव में तबाही: जिनपिंग ने मुइज्जू को किया ऐसा बर्बाद नहीं भूलेंगी 7 पीढ़ियां
मालदीव का कुल कर्ज मार्च 2024 तक 8.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच चुका है, जो 2018 में केवल 3 बिलियन डॉलर था. इस कर्ज का अनुमान है कि 2029 तक यह 11 बिलियन डॉलर को पार कर जाएगा. इनमें से 3.4 बिलियन डॉलर विदेशी कर्ज है, जिनमें चीन प्रमुख ऋणदाता है. इस कर्ज ने मालदीव की आर्थिक स्थिति को गंभीर संकट में डाल दिया है और अब यह देश अपनी वित्तीय संप्रभुता खोने के खतरे का सामना कर रहा है.

China- Maldives Friendship: मालदीव में विदेशी मुद्रा भंडार घटकर खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है. लेखिका और पत्रकार दिमित्रा स्टाइकौ के अनुसार, चीन की ऋण देने की नीतियां मालदीव की आर्थिक स्थिति को और बिगाड़ रही हैं. चीन की तरफ से दी गई भारी कर्ज राशि के कारण मालदीव अब गंभीर आर्थिक संकट में है, और इसकी स्थिति पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों की तरह होने की आशंका जताई जा रही है.
दिमित्रा ने 'मीडियम' पर एक लेख में लिखा कि मालदीव का कर्ज तेजी से बढ़ा है. मार्च 2024 तक कुल कर्ज 8.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है और 2029 तक यह 11 बिलियन डॉलर से अधिक हो सकता है. मालदीव को 2025 में 600 मिलियन डॉलर और 2026 में 1 बिलियन डॉलर का बाहरी ऋण चुकाना होगा, जो एक बड़ा वित्तीय चुनौती है.
मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार लड़खड़ाया
मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार दिसंबर 2024 तक 65 मिलियन डॉलर से भी कम रह गया था, और जुलाई 2024 में यह 21.97 मिलियन डॉलर तक गिर गया था. अगस्त में तो यह स्थिति और भी बिगड़ गई और भंडार निगेटिव हो गया, जिससे भुगतान संतुलन संकट पैदा हुआ. इसके परिणामस्वरूप, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों ने मालदीव की क्रेडिट रेटिंग को घटा दिया. फिच ने जून और अगस्त में तीन पायदानों से रेटिंग घटाई, जबकि मूडीज ने मालदीव की दीर्घकालिक क्रेडिट रेटिंग को नकारात्मक दृष्टिकोण दिया.
चीन से मालदीव का आयात कई गुना बढ़ा
चीन से मालदीव का आयात 65 मिलियन डॉलर तक पहुच गया है, जो पिछले साल के 43 मिलियन डॉलर से काफी बढ़ा है. इसके अलावा, मालदीव ने एफटीए (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) के तहत चीन से आयात पर 91 प्रतिशत टैरिफ हटा लिया, लेकिन इसका देश के निर्यात में कोई खास लाभ नहीं हुआ. इसके कारण सरकारी राजस्व में भारी गिरावट आई है, जो पिछले साल 64 मिलियन डॉलर से घटकर 138 मिलियन मालदीव रुपए रह गया. इस तरह से, चीन ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया, लेकिन मालदीव को भारी कर्ज और आर्थिक संकट में धकेल दिया.