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चीन ने मारी बाजी, इन 10 सेक्टर्स में अमेरिका को पछाड़ा, क्या ट्रंप के टैरिफ से लौटेंगे पुराने दिन?

अमेरिका, लंबे समय से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा पहने हुए है. लेकिन सवाल यह है कि क्या अमेरिका अब भी उतने ही दमदार हैं? यह सवाल इसलिए उछ रहा है क्योंकि वैश्विक मंच पर कई बड़े क्षेत्रों में अमेरिका का ताज अब डगमगा रहा है, और चीन ने तेजी से अपनी बादशाहत कायम कर ली है.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

China America: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत सहित अन्य देशों पर और अधिक टैरिफ लगाने की धमकी दी है. इससे पहले भी अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था, और अब ट्रंप इन टैरिफ का इस्तेमाल दबाव बनाने की रणनीति के रूप में कर रहे हैं. अमेरिका ने सिर्फ भारत पर ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों पर भी भारी-भरकम टैरिफ लागू किए हैं. अब सवाल यह उठता है कि क्या इन टैरिफ की मदद से ट्रंप अमेरिका को फिर से अपनी खोई हुई वैश्विक ताकत वापस दिला पाएंगे?

कमजोर हो रहा अमेरिकी

अमेरिका, जो कभी 'अंकल सैम' के रूप में दुनिया की सबसे बड़ी और ताकतवर अर्थव्यवस्था माना जाता था, क्या अब पहले जैसा मजबूत है? यह सवाल इस लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कई वैश्विक सेक्टरों में अब अमेरिका की स्थिति कमजोर पड़ चुकी है और चीन ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. कुछ क्षेत्रों में तो चीन ने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है, और अब ट्रंप इन टैरिफ के जरिए क्या अमेरिका को फिर से आर्थिक रूप से सशक्त बना सकते हैं?

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में चीन 

अमेरिका अब पहले जैसा मैन्युफैक्चरिंग हब नहीं रहा. इसके मुकाबले, चीन ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को लगातार बढ़ाया है और 2023 में चीन का वैश्विक विनिर्माण उत्पादन 30% के करीब था, जबकि अमेरिका का मात्र 17% थी. भारत और चीन जैसे देशों में सस्ते श्रम और बड़े पैमाने पर उत्पादन की वजह से अमेरिका इस क्षेत्र में पीछे रह गया है. हालांकि, कुछ सेक्टरों में अमेरिका का दबदबा अब भी कायम है, जैसे कि स्टील प्रोडक्शन में भारत ने अमेरिका को चुनौती दी है.

सर्विस सेक्टर में अमेरिका

अमेरिका की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण सर्विस सेक्टर है, लेकिन हाल के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2025 में इस क्षेत्र में विकास की गति लगभग रुक गई है. रिपोर्ट के अनुसार, सर्विस सेक्टर का PMI 50.1 पर आ गया है, जो कि ग्रोथ और कॉन्ट्रैक्शन के बीच की रेखा है. इसका मतलब यह है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा इंजन अब ठहरा हुआ है.

एनर्जी और नवीकरणीय ऊर्जा में चीन

नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में चीन ने अमेरिका को पछाड़ दिया है. चीन ने सोलर एनर्जी और विंड एनर्जी उपकरणों में भारी निवेश किया है और 2024 में ग्लोबल सोलर पैनल उत्पादन का 80% हिस्सा अपने नाम किया. जिसके बाद से अमेरिक मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन और न्यूक्लियर ऊर्जा पर ध्यान दे रहा है. भारत ने भी इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है और अब सोलर और विंड एनर्जी में तीसरे स्थान पर है.

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और AI में चीन 

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) के मामले में भी चीन ने अमेरिका की कंपनियों को कड़ी टक्कर दी है. चीन की कंपनियां BYD और NIO ने उत्पादन और बिक्री में जबरदस्त बढ़ोतरी की है. 2024 में चीन ने वैश्विक EV सेल्स के 60% हिस्से पर अपना जगह बना लिया है. इसके अलावा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में भी चीन ने अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए AI पेटेंट में आगे बढ़त बनाई है.

अमेरिका की टैरिफ नीति

अमेरिका ने टैरिफ के जरिए अन्य देशों के व्यापार घाटे को कम करने की कोशिश की है, ताकि घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिल सके. टैरिफ से आयातित सामान महंगे होंगे और अमेरिकी कंपनियों को स्थानीय उत्पादन बढ़ाने का अवसर मिलेगा. ट्रंप ने यह भी कहा है कि अगर विदेशी कंपनियां अमेरिका में उत्पादन करें तो उन्हें टैरिफ में राहत मिल सकती है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि टैरिफ का बोझ अधिकांशतः अमेरिकी कंपनियों और उपभोक्ताओं पर ही पड़ता है, क्योंकि सामान की कीमतें बढ़ जाती हैं.

क्या अमेरिका फिर से वैश्विक नेता बनेगा?

अमेरिका में टैरिफ लागू करने से तुरंत घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी संभव नहीं है. खासकर चीन और अन्य देशों पर अमेरिका अब भी निर्भर है. इसके अलावा, भारत और अन्य देशों के पास भी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की क्षमता है, जिससे अमेरिकी निर्यात पर असर पड़ सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के वैश्विक प्रभुत्व को दुबारा हासिल करने के लिए केवल टैरिफ पर्याप्त नहीं होंगे. इसके लिए भारी निवेश, इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार, इनोवेशन और स्किल्ड लेबर की जरूरत होगी.

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06 August 2025, 05:23 PM IST

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