रूस के खिलाफ नाटो ने तैयार किया बड़ा एक्शन प्लान! बुलाई गई 30 देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक
NATO meeting: रूस-यूक्रेन युद्ध की बदलती स्थिति को देखते हुए नाटो ने 30 सदस्य देशों के रक्षामंत्रियों की आपात बैठक बुलाई है. इस बैठक को भविष्य की सैन्य तैनाती और संभावित शांति समझौते की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है. नाटो का कहना है कि बैठक का प्रमुख उद्देश्य यूक्रेन में भविष्य में सेना तैनात करने की योजना पर विचार करना है.

NATO meeting: रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर नाटो ने एक बड़ी पहल करते हुए 30 सदस्य देशों के रक्षामंत्रियों की आपात बैठक बुलाई है. तीन साल से जारी युद्ध में रूस की बढ़ती पकड़ को देखते हुए नाटो अब सक्रिय रूप से प्रतिक्रिया देने की तैयारी में है. इस क्रम में ब्रिटेन और फ्रांस के नेतृत्व में यह विशेष बैठक बुलाई गई है, जिसका आयोजन नाटो मुख्यालय में हो रहा है. इस बैठक को भविष्य की सैन्य तैनाती और संभावित शांति समझौते की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है. नाटो ने यह संकेत दिया है कि अब रूस के बढ़ते दबदबे को रोकने के लिए निर्णायक रणनीति बनाई जाएगी.
नाटो का कहना है कि बैठक का प्रमुख उद्देश्य यूक्रेन में भविष्य में सेना तैनात करने की योजना पर विचार करना है. साथ ही रूस के साथ किसी भी संभावित शांति समझौते की निगरानी के लिए रणनीतिक रूपरेखा तैयार करना भी एजेंडे में शामिल है. यह बैठक गठबंधन देशों के रक्षामंत्रियों की इस विषय पर पहली औपचारिक चर्चा होगी.
ब्रिटेन और फ्रांस की अगुवाई में हो रही बैठक
ब्रिटेन और फ्रांस इस बैठक की अगुवाई कर रहे हैं. यह बैठक गुरुवार को बुलाई गई है, जिसमें लगभग 30 देशों के रक्षामंत्री हिस्सा ले रहे हैं. इससे पहले ब्रिटिश और फ्रांसीसी सैन्य अधिकारियों ने कीव की यात्रा की थी. उसी यात्रा के बाद यह बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया.
50 देशों की होगी भागीदारी
हालांकि, इस बैठक में अमेरिका हिस्सा नहीं ले रहा है. शुक्रवार को यूक्रेन को सैन्य समर्थन देने के लिए लगभग 50 देशों के प्रतिनिधि नाटो मुख्यालय में एकत्र होंगे. इस बैठक की अध्यक्षता ब्रिटेन और जर्मनी करेंगे. अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के इसमें भाग लेने की संभावना नहीं है.
यूक्रेन में रूस के नए सैन्य अभियान की आशंका
यूक्रेन सरकार और सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि रूस की सेनाएं कीव पर दबाव बढ़ाने के लिए एक नया सैन्य अभियान शुरू करने की तैयारी कर रही हैं. उनका मानना है कि इस कदम से क्रेमलिन युद्धविराम वार्ता में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहता है.


