इथियोपिया में 10,000 साल बाद फटा ज्वालामुखी, अबू धाबी जा रही फ्लाइट को अहमदाबाद में उतारा गया
कन्नूर से अबू धाबी जा रही इंडिगो उड़ान को इथियोपिया में 10,000 साल बाद हुए ज्वालामुखी विस्फोट के कारण अहमदाबाद मोड़ना पड़ा. राख के बादल उत्तर की ओर बढ़ते हुए भारत, ओमान और यमन के हवाई मार्गों के लिए खतरा बन गए, जिससे विमानन अलर्ट जारी हुआ.

नई दिल्लीः कन्नूर से अबू धाबी जा रही इंडिगो की उड़ान 6E 1433 को आपात स्थिति में अहमदाबाद की ओर मोड़ दिया गया. इसका कारण इथियोपिया में हुआ एक ऐतिहासिक ज्वालामुखी विस्फोट था, जिसने आसमान में भारी मात्रा में राख का गुबार फैला दिया. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह 10,000 साल बाद हुआ विस्फोट है, जिसे क्षेत्र की सबसे दुर्लभ और असाधारण प्राकृतिक घटनाओं में गिना जा रहा है.
इंडिगो की ओर से जारी बयान में कहा गया कि एयरबस विमान अहमदाबाद में सुरक्षित लैंडिंग कर चुका है और यात्रियों को आगे कन्नूर वापस भेजने की व्यवस्था की जा रही है.
विमानन कंपनियों में अलर्ट
यह अप्रत्याशित घटना ऐसे समय सामने आई है जब इथियोपिया में स्थित हेली गुब्बी ज्वालामुखी की राख उत्तर दिशा की ओर बढ़ते हुए भारतीय हवाई मार्गों तक पहुंच सकती है. दिल्ली और जयपुर के ऊपर उड़ान संचालन पर भी इसका प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है.
भारतीय विमानन प्राधिकरण ने स्थिति पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी है. कई एयरलाइंस ने पहले ही अपने रूट बदलना शुरू कर दिया है ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना से बचा जा सके.
अकासा एयर की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि एयरलाइन अंतरराष्ट्रीय विमानन प्रोटोकॉल के तहत ज्वालामुखीय गतिविधि पर करीबी नजर बनाए हुए है. बयान में यह भी स्पष्ट किया गया कि यात्रियों की सुरक्षा एयरलाइन की सर्वोच्च प्राथमिकता है.
10 हजार साल में पहली बार हुआ इतना बड़ा विस्फोट
वैज्ञानिकों के अनुसार इथियोपिया के एर्टा एले रेंज में स्थित हेली गुब्बी ज्वालामुखी ने रविवार सुबह अचानक विशाल धुएं और सल्फर डाइऑक्साइड के स्तंभ उगलना शुरू कर दिया.
टूलूज वॉल्केनिक ऐश एडवाइजरी सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, राख का गुबार 10 से 15 किलोमीटर ऊंचाई तक उठा और तेज हवाओं के साथ लाल सागर की ओर बहने लगा. राख का यह बादल ओमान और यमन के कई इलाकों को प्रभावित कर चुका है, जहां पर्यावरण और विमानन विभागों ने एडवाइजरी जारी की है.
ओमान में निगरानी तेज
रिपोर्ट के अनुसार, ओमान के पर्यावरण प्राधिकरण ने ज्वालामुखी से निकलने वाले गैसों और राख के संभावित प्रभावों को लेकर चेतावनी जारी की है. हालांकि, अभी तक देश में प्रदूषण स्तर में कोई उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज नहीं की गई है.
ओमान के 68 निगरानी केंद्र लगातार हवा की गुणवत्ता माप रहे हैं. अधिकारियों ने नागरिकों से कहा है कि वे नाकी प्लेटफॉर्म के जरिए वास्तविक समय में वायु गुणवत्ता देख सकते हैं.
विमानों की ऊंचाई तक पहुंची राख
हालांकि ज्वालामुखी का स्थान आबादी से दूर है, लेकिन राख की ऊंचाई और फैलाव ने अंतरराष्ट्रीय विमानन एजेंसियों को हाई अलर्ट जारी करने पर मजबूर कर दिया है. धुआं उस ऊंचाई तक पहुंच चुका है जहां से अधिकतर वाणिज्यिक विमान उड़ान भरते हैं. यही वजह है कि उड़ानों का मार्ग बदलना अब अनिवार्य हो गया है.
विशेषज्ञों का कहना है कि उड़ान मार्गों के ऊपर पहुंचे ऐसे राख के बादल इंजन को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए इसे लेकर अत्यधिक सतर्कता बरतनी जरूरी है.


