ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की तैयारियों से घबराया पाकिस्तान, LoC पर तैनात किए एंट्री ड्रोन सिस्टम
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के हमलों से चिंतित पाकिस्तान ने एलओसी के पास पीओके में बड़े पैमाने पर एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात किए हैं. बढ़ती सैन्य तैयारियों और संभावित ऑपरेशन सिंदूर 2.0 के डर से उसकी सुरक्षा सतर्कता तेज हो गई है.

नई दिल्लीः ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत द्वारा किए गए सटीक और आक्रामक हमलों ने पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इन हमलों से बौखलाए पाकिस्तान ने अब नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के अग्रिम इलाकों में ड्रोन-रोधी प्रणालियों की तैनाती तेज कर दी है. खुफिया सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना को आशंका है कि भारत भविष्य में ऑपरेशन सिंदूर 2.0 जैसे और अभियान चला सकता है, इसी डर से यह कदम उठाया गया है.
पीओके में बढ़ाए गए एंटी ड्रोन सिस्टम
सूत्रों का कहना है कि रावलकोट, कोटली और भीमबर सेक्टरों के सामने 30 से अधिक विशेष काउंटर-यूएएस (C-UAS) यूनिट्स तैनात की गई हैं. ये तैनातियां मुर्री स्थित मुख्यालय वाली 12वीं इन्फैंट्री डिवीजन और कोटली-भीमबर क्षेत्र की जिम्मेदारी संभालने वाली 23वीं इन्फैंट्री डिवीजन के अधीन की जा रही हैं. इसका मकसद एलओसी के नजदीक हवाई निगरानी, ड्रोन डिटेक्शन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं को मजबूत करना है.
किस सेक्टर में कौन जिम्मेदार?
सेक्टरवार जानकारी के मुताबिक, रावलकोट क्षेत्र में ड्रोन-रोधी सिस्टम का संचालन दूसरी पाक अधिकृत कश्मीर ब्रिगेड कर रही है, जो पुंछ सेक्टर के सामने भारतीय चौकियों की निगरानी करती है. कोटली सेक्टर में यह जिम्मेदारी तीसरी आज़ाद कश्मीर ब्रिगेड के पास है, जिसका क्षेत्र राजौरी, पुंछ, नौशेरा और सुंदरबनी के सामने तक फैला है. वहीं भीमबर सेक्टर में सातवीं आज़ाद कश्मीर ब्रिगेड ड्रोन गतिविधियों पर नजर रख रही है.
अमेरिकी और आधुनिक सिस्टम शामिल
पाकिस्तान ने केवल पारंपरिक नहीं, बल्कि आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक और गतिज ड्रोन-रोधी प्रणालियों को भी तैनात किया है. इनमें अमेरिकी स्पाइडर काउंटर-यूएएस सिस्टम प्रमुख है, जो निष्क्रिय रेडियो-फ्रीक्वेंसी पहचान तकनीक के जरिए 10 किलोमीटर तक की दूरी से छोटे और बड़े ड्रोन का पता लगाने में सक्षम बताया जाता है.
इसके अलावा, सफराह एंटी-यूएवी जैमिंग गन का इस्तेमाल भी किया जा रहा है. यह एक पोर्टेबल, कंधे पर रखकर चलने वाली प्रणाली है, जो लगभग 1.5 किलोमीटर की रेंज में ड्रोन के कंट्रोल, वीडियो और जीपीएस सिग्नल को बाधित कर सकती है.
हवाई रक्षा हथियार भी तैनात
ड्रोन जैमिंग जैसे “सॉफ्ट-किल” उपायों के साथ-साथ पाकिस्तान ने पारंपरिक एयर डिफेंस हथियारों को भी सक्रिय किया है. इनमें 35 मिमी ओर्लिकॉन जीडीएफ ट्विन-बैरल एंटी-एयरक्राफ्ट गन और अंज़ा एमके-II व एमके-III मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) शामिल हैं, जो कम ऊंचाई और धीमी गति से उड़ने वाले हवाई लक्ष्यों को निशाना बना सकते हैं.
भारत की सैन्य तैयारी से बढ़ी बेचैनी
रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह पूरी तैनाती भारत के बढ़ते सैन्य अभ्यासों और आक्रामक रुख को लेकर पाकिस्तान की बेचैनी को दर्शाती है. सेना, नौसेना और वायु सेना के संयुक्त अभ्यासों ने पाकिस्तान की सुरक्षा रणनीति पर दबाव बढ़ाया है.
विदेशी मदद की तलाश
बताया जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उजागर हुई अपनी ड्रोन-रोधी कमजोरियों को दूर करने के लिए पाकिस्तान तुर्की और चीन से नए ड्रोन और एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने को लेकर बातचीत कर रहा है.
ऑपरेशन सिंदूर
गौरतलब है कि 7 मई को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. इस दौरान न केवल आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया, बल्कि पाकिस्तान के भीतर मौजूद अहम सैन्य ठिकानों पर भी सटीक हमले हुए. हालात बिगड़ने के बाद पाकिस्तान ने 10 मई को भारत से युद्धविराम की गुहार लगाई, जिसके बाद तीन दिन में संघर्ष थम गया.


