ग़ाज़ा में गद्दारी का नया ठिकाना: नेतन्याहू की शह पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ बंदूक उठा बैठा यासिर गैंग, हमास ने 50 को किया ढेर
ग़ाज़ा आज सिर्फ़ इज़राइली बमों से नहीं, बल्कि अपनों की गद्दारी से भी लहूलुहान है। हमास ने यासिर अबू शबाब पर इज़राइल के इशारे पर गद्दारों की फ़ौज खड़ी करने का आरोप लगाया है। ग़लियों में अब यासिर को यहूदी एजेंट कहा जा रहा है।

इंटरनेशनल न्यूज. ग़ाज़ा की ज़मीन अब सिर्फ़ बाहर से आई मिसाइलों से नहीं, अंदर पनपती साज़िशों से भी कांप रही है। एक ऐसा नाम जो कभी जेल में था, आज हथियारों के बल पर ग़ाज़ा के सबसे बड़े दुश्मनों में गिना जा रहा है—यासिर अबू शबाब। हमास का दावा है कि उसने अब तक यासिर गैंग के 50 से ज़्यादा लड़ाकों को मार गिराया है जो इज़राइल से फंडिंग लेकर 'गद्दारी का नेटवर्क' चला रहे थे। अब ग़ाज़ा की गलियों में कोई यासिर को मिलिटेंट नहीं, बल्कि "यहूदी दलाल", "नेतन्याहू का आदमी" और "इस्लाम का गद्दार" कहता है। और उसकी ये छवि किसी अफवाह से नहीं, बल्कि ज़मीनी खून-खराबे से पैदा हुई है।
कैदी से कटपुतली सरगना तक का सफर
यासिर को ड्रग्स की तस्करी के आरोप में जेल में डाला गया था। 7 अक्टूबर 2023 को जब हमास ने इज़राइल पर हमला किया, तब वो सलाखों के पीछे था। लेकिन जैसे ही जंग शुरू हुई, वो रहस्यमयी हालात में जेल से बाहर आया और ‘एंटी टेरर सर्विस’ नाम की अपनी खुद की निजी फौज खड़ी कर ली। हमास का आरोप है कि यह फौज सीधे इज़राइल से पैसे और हथियार लेती है। यासिर की यूनिट ने खुद को राहत ट्रकों की सुरक्षा में लगाया बताया, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि ये सिर्फ़ एक पर्दा था—असल मकसद था हमास की निगरानी और उसके लड़ाकों को खत्म करना।
रफ़ाह में जंग: जब गद्दार को इज़राइली ड्रोन ने बचाया
मंगलवार को रफ़ाह में यासिर गैंग और हमास के बीच ज़बरदस्त भिड़ंत हुई। हमास की ऐरो यूनिट ने हमला किया, लेकिन तभी इज़राइली ड्रोन ने जवाबी हमले कर हमास के चार लड़ाकों को मार गिराया—सिर्फ़ इसलिए कि यासिर को बचाया जा सके। i24 चैनल की रिपोर्ट बताती है कि इज़राइल की सेना ने खुलकर यासिर को हमास के चंगुल से निकालने की कोशिश की। अब ग़ाज़ा की ज़मीनी लड़ाई एक सीधी नागरिक बनाम गद्दार की जंग बन चुकी है।
"हम तो मदद कर रहे थे"—यासिर गैंग की नाकाम सफाई
यासिर की यूनिट ने दावा किया कि वे सिर्फ़ राहत कार्यों में लगे थे और विस्फोटक हटाने का काम कर रहे थे। लेकिन ग़ाज़ा की जनता अब इन बातों को नकार चुकी है। सोशल मीडिया पर यासिर के पोस्टर वायरल हैं—"ग़ाज़ा का गद्दार", "इस्राइली एजेंट", और "इस्लाम का दुश्मन" जैसे टैग के साथ। अब यासिर का नाम रह गया है ग़द्दारी की पहचान के रूप में—एक ऐसा चेहरा जिसे इज़राइल ने पाल-पोस कर ग़ाज़ा के दिल में उतारा है।
इज़राइल की चाल: ग़ाज़ा को गृहयुद्ध की ओर धकेलने की साज़िश
रणनीतिक जानकारों का मानना है कि इज़राइल अब सिर्फ़ हमास से जंग नहीं लड़ रहा, बल्कि ग़ाज़ा को अंदर से तोड़ने की चाल चल रहा है। यासिर जैसे किरदार इसी योजना के हिस्से हैं। इज़राइली फंडिंग से चल रही ये गुटबाजियां अब ग़ाज़ा को एक नए ख़तरे की ओर ले जा रही हैं—गृहयुद्ध की ओर। अगर हालात नहीं संभले, तो ग़ाज़ा की लड़ाई अब इज़राइल बनाम हमास नहीं, बल्कि ग़ाज़ा बनाम ग़ाज़ा बन जाएगी।