किस तरह बलूच लिबरेशन आर्मी ने हिंसा को दिया बढ़ाया? हिंसक अभियानों को किया तेज
बलूच लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत में अपने हिंसक अभियानों को अब तेज़ कर दिया है. इन हिंसक अभियानों से पाकिस्तान के लिए एक बड़ा सुरक्षा खतरा उत्पन्न हो गया है.

बलूच लिबरेशन आर्मी ने पिछले एक साल में पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत में अपने हिंसक अभियानों को तेज़ कर दिया है. इससे पाकिस्तान के लिए एक बड़ा सुरक्षा खतरा उत्पन्न हो गया है. बीएलए जो इस क्षेत्र में स्वतंत्रता की मांग करने वाला सबसे सक्रिय समूह है उसने विदेशी हितों, सुरक्षा बलों और पंजाब से आए पाकिस्तानियों को निशाना बनाकर कई हमलों को अंजाम दिया है.
बलूचिस्तान खनिजों और हाइड्रोकार्बन संसाधनों से समृद्ध
बलूचिस्तान खनिजों और हाइड्रोकार्बन संसाधनों से समृद्ध है. फिर भी यहां की 15 मिलियन की जनसंख्या में से लगभग 70% लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं. बीएलए का आरोप है कि पाकिस्तानी सेना और पंजाबी अभिजात वर्ग इस क्षेत्र के संसाधनों का दोहन कर रहे हैं, जिससे स्थानीय लोग गरीब और हाशिए पर चले गए हैं. बीएलए ने हाल ही में एक बयान में कहा कि बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधन बलूच राष्ट्र के हैं, लेकिन पाकिस्तानी सैन्य जनरल और पंजाबी अभिजात वर्ग इन संसाधनों को अपनी विलासिता के लिए लूट रहे हैं.
इस्लामाबाद स्थित सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज के अनुसार, 2023 में बीएलए द्वारा की गई हिंसा में 90% की वृद्धि देखी गई है. विद्रोह के प्रति सेना की कठोर प्रतिक्रिया की आलोचना मानवाधिकार समूहों ने की है, जिन्होंने बड़े पैमाने पर जबरन गायब किए जाने और न्यायेतर हत्याओं के आरोप लगाए हैं. पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने बलूच लोगों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार पर चिंता जताई है और न्याय की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन भी किए.
बीएलए का सदस्य संख्या लगभग 5,000 होने का अनुमान है. इसमें महिलाओं की संख्या भी बढ़ रही है, जिनमें छात्राएं और चिकित्सा स्नातक भी शामिल हैं. शोधकर्ता अब्दुल बासित के अनुसार, बीएलए ने स्थानीय लोगों की शिकायतों का फायदा उठाने में सफलता पाई है, जो महसूस करते हैं कि उनकी आवाज़ नहीं सुनी जा रही है. बीएलए की रणनीतियों में निरंतर सुधार हो रहा है. अब वे महिला आत्मघाती हमलावरों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.
पाकिस्तान की सरकार क्या कसम खाई
बीएलए ने हाल ही में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से जुड़ी परियोजनाओं को निशाना बनाया है, जिनमें ग्वादर बंदरगाह जैसी महत्वपूर्ण चीनी निवेश परियोजनाएं शामिल हैं. पाकिस्तान की सरकार ने इन परियोजनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की कसम खाई है, लेकिन बीएलए के बढ़ते हमलों से यह एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है.
इस बढ़ते खतरे के बावजूद पाकिस्तान ने काबुल पर आरोप लगाया है कि वह अपनी सीमा में छिपे आतंकवादियों को प्रभावी तरीके से नष्ट करने में असफल रहा है. अब्दुल बासित का मानना है कि असली समस्या बलूचिस्तान में ही है, जहां बीएलए स्थानीय लोगों की गहरी शिकायतों और कुंठाओं का फायदा उठाने में सफल रहा है.