भारत तैयार, चीन परेशान! होर्मुज की बंदी से एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को लगेगा झटका
ईरान-इजराइल जंग के बीच ईरानी संसद ने स्ट्रेट ऑफ होर्मुज बंद करने का फैसला लिया है. इससे तेल आपूर्ति पर असर पड़ सकता है. भारत तैयार है, लेकिन चीन को बड़ा झटका लगेगा क्योंकि उसका 45% क्रूड ऑयल इसी जलमार्ग से आता है. दाम बढ़ने की आशंका तेज़ है.

ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते युद्ध ने अब वैश्विक तनाव को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है. 10 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं लेकिन न तो तेहरान पीछे हटने को तैयार है और न ही तेल अवीव. इस बीच अमेरिका भी खुलकर मैदान में आ गया है, जिससे हालात और भड़क गए. अमेरिकी दखल के बाद ईरानी संसद ने 22 जून 2025 को होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का प्रस्ताव पास कर दिया. हालांकि इसे लागू करने की अंतिम मुहर अभी बाकी है, लेकिन यह फैसला पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है.
होर्मुज जलडमरूमध्य एक बेहद संकरा समुद्री रास्ता है, जो पर्शियन गल्फ को अरब सागर से जोड़ता है. इसे दुनिया की सबसे व्यस्त तेल शिपिंग लेन कहा जाता है. हर दिन यहां से करीब 2 करोड़ बैरल तेल गुजरता है. भारत और चीन जैसे देशों के लिए यह एक तरह की 'तेल की नाड़ी' है. अगर यह रास्ता बंद होता है, तो तेल आपूर्ति पर गहरा असर पड़ सकता है.
भारत ने पहले ही किए हैं इंतज़ाम
जहां एक ओर दुनिया भर में क्रूड ऑयल के दामों को लेकर हलचल शुरू हो गई है, वहीं भारत की ओर से केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि हमारे पास कई हफ्तों का ऑयल रिज़र्व है. उन्होंने कहा कि भारत ने पहले ही वैकल्पिक स्रोतों की ओर रुख कर लिया था. हालांकि, यह माना जा रहा है कि अगर स्थिति लंबे समय तक खिंचती है, तो भारतीय बाज़ार भी प्रभावित हो सकता है.
चीन के लिए बन सकती है संकट की घड़ी
ईरान के फैसले का सबसे बड़ा असर चीन पर पड़ सकता है. अमेरिका की ऊर्जा सूचना एजेंसी (EIA) के मुताबिक, चीन 2024 में प्रतिदिन 11.1 मिलियन बैरल तेल आयात करता था और इनमें से लगभग 45% तेल होर्मुज से होकर आता था. चीन की ऊर्जा सुरक्षा इस जलमार्ग पर अत्यधिक निर्भर है. अगर यह बंद होता है, तो चीन की इंडस्ट्री, ट्रांसपोर्ट और डिफेंस सप्लाई पर गहरा असर पड़ेगा.
अमेरिका ने भी जताई चिंता
ईरानी संसद के प्रस्ताव के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि वे चीन के साथ इस मामले पर बातचीत करेंगे. उन्होंने कहा कि चीन इस खाड़ी पर अत्यधिक निर्भर है और यह वैश्विक स्थिरता का मामला है.


