ट्रेड डील पर बातचीत के बीच अमेरिका के खिलाफ भारत का सख्त रुख, WTO में रखा प्रस्ताव

भारत ने अमेरिका द्वारा भारतीय ऑटो उत्पादों पर लगाए गए भारी टैरिफ के जवाब में WTO में जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर ली है.

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर सतह पर आ गया है. अमेरिका द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर भारतीय ऑटोमोबाइल और उससे जुड़े पुर्जों पर भारी टैरिफ लगाए जाने के जवाब में भारत ने शुक्रवार को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में कड़ा कदम उठाया है. भारत ने ऐलान किया है कि वो अमेरिका से आयात होने वाले कुछ उत्पादों पर रियायतें समाप्त कर सकता है और जवाबी शुल्क लागू करेगा.

ये फैसला ऐसे समय आया है जब दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को लेकर अंतिम दौर की बातचीत जारी है. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप सरकार के आक्रामक व्यापार रवैये के चलते भारत ने WTO के नियमों के तहत अपना अधिकार सुरक्षित रखते हुए जवाबी कार्रवाई की दिशा में कदम बढ़ा दिया है.

टैरिफ के खिलाफ भारत का सख्त रुख

भारत ने WTO की वस्तु व्यापार परिषद को सूचित किया कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ ‘सेफगार्ड उपाय’ नहीं माने जा सकते क्योंकि ये WTO के GATT 1994 और सुरक्षा समझौते (AoS) की शर्तों के अनुरूप नहीं हैं. भारत ने कहा कि अमेरिका ने आर्टिकल 12.3 के तहत परामर्श तो किया, लेकिन GATT और AoS की प्रक्रिया का पालन नहीं किया. ऐसे में भारत भी आर्टिकल 8 के तहत जवाबी कार्रवाई का पूरा अधिकार रखता है.

अमेरिका के टैरिफ में क्या शामिल?

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने इस साल 26 मार्च को भारत समेत कई देशों से आने वाले ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स पर 25% तक का टैरिफ लागू किया, जो 3 मई 2025 से प्रभावी हो गया. इस टैरिफ में हल्के ट्रक, कारें, लिथियम-आयन बैटरी, टायर, इंजन, स्पार्क प्लग वायर, ट्रांसमिशन और शॉक एब्जॉर्बर जैसे महत्वपूर्ण उत्पाद शामिल हैं. ट्रंप ने इसे अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को पुनर्जीवित करने की दिशा में उठाया गया कदम बताया था.

WTO में टैरिफ का रजिस्ट्रेशन भी नहीं

भारत ने ये भी आरोप लगाया कि अमेरिका ने अपने इस टैरिफ फैसले को WTO में पंजीकृत नहीं कराया है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का सीधा उल्लंघन है. भारत ने स्पष्ट किया कि वो केवल अपने अधिकार का उपयोग कर रहा है और ये कदम WTO नियमों के तहत वैध और न्यायसंगत है. भारत ने अमेरिका को साफ संकेत दे दिया है कि अगर व्यापार वार्ता विफल रहती है, तो WTO के मंच पर कड़ी कानूनी चुनौती दी जाएगी. 

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04 July 2025, 08:28 PM IST

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