भारत-अमेरिका के व्यापार समझौते पर जल्द लग सकती है मुहर, आयात शुल्क घटकर 15-16 हो सकता है
India US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक व्यापार समझौता हो सकता है, जो दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा. इसके तहत अमेरिका अपने आयात शुल्क को घटाकर 15-16% करने की योजना बना रहा है. दूसरी ओर, भारत रूस से तेल आयात में कटौती करने और अमेरिकी मक्का व सोयामील के लिए अपने बाजार के दरवाजे खोलने पर विचार कर रहा है.

India US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच वर्षों से लंबित व्यापार समझौते पर जल्द ही अंतिम मुहर लग सकती है. सूत्रों के अनुसार दोनों देशों के बीच व्यापक व्यापार करार को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है. इस समझौते के तहत अमेरिका भारत से आयातित उत्पादों पर लगाए गए 50% तक के शुल्क को घटाकर 15-16% तक कर सकता है, जिससे भारतीय निर्यातकों को बड़ी राहत मिलने की संभावना है.
ऐसा माना जा रहा है कि इस बहुप्रतीक्षित समझौते की घोषणा इस महीने होने वाले आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान की जा सकती है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात प्रस्तावित है. इस करार के पीछे मुख्य फोकस ऊर्जा और कृषि जैसे रणनीतिक क्षेत्रों पर है.
ऊर्जा और व्यापार पर ट्रंप-मोदी की चर्चा
रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी से टेलीफोन पर बातचीत की. उन्होंने कहा कि बातचीत मुख्यतः व्यापार पर केंद्रित रही. ऊर्जा पर भी हमारी चर्चा हुई और मोदी ने मुझे आश्वासन दिया कि भारत रूस से अपनी तेल खरीद सीमित करेगा.
यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका भारत पर रूस से तेल आयात को लेकर पहले ही 25% अतिरिक्त दंडात्मक शुल्क लगा चुका है.
रूस से भारत का तेल आयात कितना?
भारत वर्तमान में रूस से अपने कुल कच्चे तेल का लगभग 34 प्रतिशत आयात करता है, जबकि अमेरिका से यह आंकड़ा मूल्य के हिसाब से लगभग 10 प्रतिशत है. अमेरिकी चिंता यह है कि रूस से हो रही भारी मात्रा में तेल खरीद से उनके ऊर्जा निर्यात पर असर पड़ रहा है.
प्रस्तावित समझौते में यह भी संभावना है कि भारत गैर-जीएम अमेरिकी मक्का और सोयामील के आयात के लिए अपने बाजार को और अधिक खोलेगा. वर्तमान में अमेरिका से मक्का आयात का कोटा 5 लाख टन प्रति वर्ष है, जिसे बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है. हालांकि, इस पर 15% आयात शुल्क बना रहेगा.
डेयरी उत्पादों पर अब भी स्पष्टता नहीं
हालांकि भारत में डेयरी, पोल्ट्री फीड, और एथेनॉल जैसे क्षेत्रों में अमेरिकी कृषि उत्पादों की मांग बढ़ी है, फिर भी डेयरी उत्पादों पर टैरिफ कटौती को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है. भारत इस बात पर भी जोर दे रहा है कि समझौते में टैरिफ और बाजार पहुंच की समय-समय पर समीक्षा का प्रावधान जोड़ा जाए.
भारत घटा सकता है रूसी तेल पर निर्भरता
भारत इस समझौते के तहत अमेरिकी एथेनॉल के आयात की अनुमति देने पर सहमत हो सकता है और इसके बदले में अमेरिका से ऊर्जा व्यापार में रियायतें मिलने की उम्मीद है. सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को कच्चे तेल के स्रोतों में विविधता लाने और अमेरिकी आपूर्तिकर्ताओं से खरीद बढ़ाने की सलाह दी गई है.
भारत ने दी स्थिति स्पष्ट करने की प्रतिक्रिया
जहां ट्रंप का दावा है कि मोदी ने रूस से तेल खरीद में कटौती का आश्वासन दिया है, वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस प्रकार की किसी बातचीत की जानकारी से इनकार किया है. भारत की रूसी तेल खरीद पूरी तरह से उसके आर्थिक हितों के आधार पर निर्धारित होती है.
अगर यह व्यापार समझौता लागू होता है, तो यह भारत और अमेरिका के आर्थिक संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जा सकता है. टैरिफ में राहत, कृषि उत्पादों का निर्यात और ऊर्जा सहयोग इस साझेदारी को और मजबूत करेंगे. साथ ही यह भारतीय निर्यातकों के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बड़ी राहत बन सकता है.


