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कभी चीन को दी थी चुनौती, अब अमेरिका को देंगे जवाब, US के 50 % टैरिफ के खिलाफ भारत का नया प्लान आया सामने

अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50% टैक्स लगाए जाने के बाद भारत में अमेरिकी ब्रांड्स के खिलाफ नाराज़गी तेज हो गई है. ‘मेड इन इंडिया’ को समर्थन बढ़ रहा है और आत्मनिर्भर भारत की मांग फिर से जोर पकड़ रही है. व्यापारी, स्टार्टअप्स और आम जनता विदेशी उत्पादों के बहिष्कार की अपील कर रहे हैं, जिससे अमेरिकी कंपनियों को बड़ा आर्थिक नुकसान हो सकता है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

India US trade war 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आने वाले उत्पादों पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने के फैसले के बाद भारत में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. लोगों के बीच यह भाव उभर रहा है कि जिस भारत ने कभी चीन की नीतियों को चुनौती दी थी, वह अब अमेरिका को भी उसी अंदाज़ में जवाब देने के लिए तैयार है. यह कदम सिर्फ एक व्यापारिक निर्णय नहीं, बल्कि एक भावनात्मक मुद्दा बनता जा रहा है.

विदेशी निर्भरता को कम करना चाहता है देश

आपको बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अपनी आर्थिक शक्ति को मजबूती दी है. ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के ज़रिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि देश अब विदेशी निर्भरता को कम करना चाहता है. स्थानीय उत्पादन को प्राथमिकता देना और भारतीय ब्रांड्स को मज़बूत बनाना इसी दिशा में बड़ा प्रयास है. अब जब अमेरिका ने टैरिफ लगाकर भारत के साथ सख्ती दिखाई है, तो देश में 'मेड इन इंडिया' को लेकर समर्थन और तेज़ हो गया है.

अमेरिकी ब्रांड्स का बढ़ता बहिष्कार
हालांकि, भारत में अमेरिकी ब्रांड्स लंबे समय से आम जीवन का हिस्सा रहे हैं. कोका-कोला, मैकडोनाल्ड्स, अमेज़न, एपल, डोमिनोज़, और व्हाट्सऐप जैसे नाम हर घर में पहचाने जाते हैं. लेकिन अब यही ब्रांड्स देशवासियों के निशाने पर हैं. चाहे वो सोशल मीडिया ही क्यों न हो, सब जगह एक ही आवाज सुनाई दे रही है, स्वदेशी अपनाओ, विदेशी हटाओ जैसी आवाजे तेज हो गई  हैं. बड़े संख्या में लोग देशी विकल्प अपनाने और विदेशी ब्रांड्स का बहिष्कार करने की मुहिम में शामिल हो रहे हैं.


कारोबारियों और स्टार्टअप्स की आवाज
अब यह आंदोलन केवल जनता तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत के उद्योगपतियों और स्टार्टअप्स के बीच भी इसका असर दिखने लगा है. वहींं, वाओ स्किन साइंस के को-फाउंडर मनीष चौधरी ने एक वीडियो में देसी ब्रांड्स और किसानो को प्रेरित करते हुए कहा कि भारतीय उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने का समय आ गया है. उन्होंने दक्षिण कोरिया का उदाहरण दिया, जहां लोकल ब्रांड्स ने दुनिया भर में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई है.

देसी टेक्नोलॉजी की मांग
ड्राइवयू के सीईओ रहम शास्त्री ने सोशल मीडिया पर यह बात रखी कि भारत को अब चीन की तरह खुद के सोशल मीडिया और तकनीकी प्लेटफॉर्म्स विकसित करने चाहिए, जिससे अमेरिका आधारित ऐप्स जैसे यूट्यूब, व्हाट्सऐप और ट्विटर पर हमारी निर्भरता कम हो सके. उनका मानना है कि तकनीकी आत्मनिर्भरता भी राष्ट्र निर्माण का बड़ा हिस्सा है.

पीएम मोदी का 'देश पहले' संदेश
हाल ही में बेंगलुरु में एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बिना किसी विदेशी कंपनी का नाम लिए यह कहा कि अब वक्त आ गया है कि भारतीय टेक कंपनियां पहले देश की ज़रूरतों को प्राथमिकता दें. उनका यह बयान साफ तौर पर देश में चल रहे आत्मनिर्भरता आंदोलन को और बल देता है.

स्वदेशी जागरण मंच की अपील और प्रदर्शन
इस माहौल में बीजेपी समर्थित संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने भी देशभर में छोटे स्तर पर प्रदर्शन किए और आम जनता से अमेरिकी ब्रांड्स का बहिष्कार करने की अपील की. संगठन के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि यह सिर्फ एक आर्थिक मुद्दा नहीं बल्कि देशभक्ति का सवाल है. उनका कहना है कि यह बदलाव समय जरूर लेगा, लेकिन अब जनता धीरे-धीरे देसी विकल्पों की ओर बढ़ रही है.

सोशल मीडिया पर देसी विकल्पों की लिस्ट वायरल
सोशल मीडिया पर स्वदेशी जागरण मंच द्वारा बनाए गए ग्राफिक वायरल हो रहे हैं, जिनमें विदेशी फूड चेन ब्रांड्स के लोगो के साथ बहिष्कार की अपील की गई है. व्हाट्सऐप और फेसबुक पर एक सूची भी घूम रही है, जिसमें भारतीय साबुन, टूथपेस्ट, कोल्ड ड्रिंक्स और घरेलू उत्पादों के देसी विकल्प बताए जा रहे हैं. यह लहर सिर्फ एक भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि देश की दिशा में बदलते नजरिए का संकेत है.

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11 August 2025, 06:52 PM IST

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