यमन में मौत की सजा पाने वाली भारतीय नर्स निमिशा प्रिया को 16 जुलाई को दी जाएगी फांसी, क्या है आखिरी विकल्प?
यमन में मौत की सजा पाए भारतीय नर्स निमिशा प्रिया को 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जाएगी. सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल बस्करन ने फांसी की तारीख की पुष्टि की. भारत सरकार उनकी जान बचाने के लिए राजनयिक वार्ता और अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा रही है.

यमन में मौत की सजा पा चुकी भारतीय नर्स निमिशा प्रिया को 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जाएगी. यह जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता और मध्यस्थ सैमुअल जेरोम बस्करन ने साझा की. उन्होंने बताया कि यमन सरकार के अभियोजक ने जेल अधिकारियों को एक आधिकारिक पत्र भेजा है, जिसमें फांसी का दिन निर्धारित किया गया है. हालांकि बातचीत के द्वार अभी भी खुले हैं, और भारत सरकार इस समय उसकी जान बचाने के प्रयास कर रही है.
मुख्यमंत्री ने की वार्ता फिर से शुरू करने की पहल
बस्करन के अनुसार, वह यमन यात्रा पर निकलने वाले हैं ताकि तलाल के परिवार और यमन सरकार के साथ पुनः वार्ता शुरू की जा सके. इससे पहले हुए वार्ता सत्र में तलाल के परिवार को एक प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन किसी स्पष्ट प्रतिक्रिया का इंतज़ार है. अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या परिवार ने कोई आश्वासन दिया है, या उनका रुख क्या है.
हौथी मिलिशिया का कथित हस्तक्षेप
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल की शुरुआत में यमन दूतावास ने यह बताया था कि यह मामला हौथी मिलिशिया के द्वारा चलाए जा रहे राजनैतिक और सैन्य दबाव के कारण और जटिल हो चुका है. इसका आकलन इसलिए भी हुआ क्योंकि सना जेल, जहाँ प्रिया कैद है, हौथी मिलिशिया के नियंत्रण में आता है. यह स्थिति यमन की राजनीतिक अस्थिरता और राजनैतिक जेलों की भूमिका को उजागर करती है.
निमिशा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले की निवासी हैं, जिन्हें जुलाई 2017 में यमन की ट्रायल कोर्ट ने तलाल की हत्या का दोषी पाया. इसके बाद यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने दोष सिद्धि को बरक़रार रखा और 2024 में मृत्यु-दंड की सज़ा सुनाई. यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने इस फैसले को मंजूरी दी, जिससे यह अंतिम बन गया.
क्या कर सकती है भारत सरकार?
बस्करन ने स्पष्ट किया है कि विकल्प अभी ज़िंदा हैं. भारत सरकार निम्नलिखित कदम उठा सकती है:
राजनयिक वार्ता – उच्च स्तर पर यमन के अधिकारियों से संपर्क साधना, विशेषकर राष्ट्रपति और विदेश मंत्रालय के साथ.
मध्यस्थता – सामाजिक कार्यकर्ताओं की सहायता से स्थानीय स्तर पर वार्ता आयोजित करना.
अंतर्राष्ट्रीय दबाव – संयुक्त राष्ट्र या मानवाधिकार संगठनों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करना.
अंतरिम राहत – फांसी पर लगे प्रतिबंध या उसे स्थगित करवाने का प्रयास.
16 जुलाई की तारीख से पहले निमिशा प्रिया और भारत सरकार के बीच बातचीत अत्यंत महत्वपूर्ण बताई जा रही है. मंत्रालय और विदेश मामलों के उच्च स्तरीय अधिकारी फाँसी रोकने के अंतिम अवसर बनाने के प्रयास में जुटे हैं. यमन सरकार और हौथी मिलिशिया के मध्य तनावपूर्ण स्थिति अदालत के निर्णय को चुनौतीपूर्ण बना रही है.


