अमेरिका, इजराइल और NATO से नहीं…इस ग्रुप से डरता है ईरान! जानिए ताकत और असर
ईरान पर अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल जैसे देशों के सीधे सैन्य हमले हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद तेहरान का रवैया न तो नरम हुआ और न ही झुका. ऐसे में सवाल उठता है कि जब अमेरिका, NATO और इज़राइल जैसे वैश्विक ताकतों से ईरान नहीं डरता, तो आखिर कौन है जिससे वो दबाव में आ जाता है?

ईरान के खिलाफ अमेरिका, ब्रिटेन और इज़राइल जैसे ताकतवर देशों ने सैन्य मोर्चा खोल दिया है, लेकिन ईरान का रवैया आज भी आक्रामक बना हुआ है. सवाल उठता है कि जब ईरान अमेरिका और इजराइल जैसे देशों से नहीं डरता, तो आखिर उसे किसका डर है? दरअसल, एक ऐसा वैश्विक समूह है जिसकी हर बात पर ईरान को ध्यान देना पड़ता है, नाम है OPEC Plus. ये कोई राजनीतिक या सैन्य गठबंधन नहीं, बल्कि कच्चे तेल की वैश्विक राजनीति का सबसे मजबूत और असरदार संगठन है, जिसमें खुद ईरान भी शामिल है.
OPEC+ वह ग्रुप है जो पूरी दुनिया के आधे से ज्यादा कच्चे तेल का उत्पादन करता है. इस ग्रुप की नीतियां और फैसले पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था को झकझोरने की ताकत रखते हैं. ऐसे में अगर OPEC+ ईरान पर दबाव बनाता है, तो ईरान को न चाहते हुए भी उनकी बातों को तवज्जो देनी पड़ती है.
क्या है OPEC+ और क्यों है ये इतना शक्तिशाली?
OPEC Plus, यानी Organization of the Petroleum Exporting Countries Plus, एक ऐसा समूह है जिसमें OPEC के 13 सदस्य देशों के साथ 9 गैर-OPEC तेल उत्पादक देश भी शामिल हैं. यह समूह रोज़ाना करीब 45.2 मिलियन बैरल तेल का उत्पादन करता है, जो दुनिया के कुल तेल उत्पादन का 50% से भी ज्यादा है.OPEC+ का प्रभाव इतना बड़ा है कि इसके सिर्फ एक बयान से अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में उथल-पुथल मच जाती है। इस समूह की सबसे बड़ी ताकत ये है कि इसके अधिकांश सदस्य देश मिडिल ईस्ट और अफ्रीका जैसे तेल-समृद्ध क्षेत्र से हैं, जिनकी आर्थिक मजबूती कच्चे तेल पर टिकी हुई है.
OPEC+ के प्रमुख सदस्य देश
इस ग्रुप में ईरान समेत 22 देश शामिल हैं। इनमें प्रमुख हैं:
OPEC सदस्य: सऊदी अरब, यूएई, ईरान, इराक, कुवैत, वेनेजुएला, लीबिया, नाइजीरिया, अल्जीरिया
Non-OPEC सदस्य: रूस, मैक्सिको, कजाखस्तान, मलेशिया, ब्रुनेई, अज़रबैजान, ओमान, बहरीन, दक्षिण सूडान आदि
सऊदी अरब और रूस जैसे देश इस समूह के सबसे बड़े उत्पादक हैं। अकेले सऊदी अरब रोज़ाना 10.4 मिलियन बैरल और रूस 10.3 मिलियन बैरल तेल का उत्पादन करता है.
ईरान का तेल उत्पादन और उसकी अहमियत
ईरान OPEC+ का अहम सदस्य है, और इसके पास हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य जैसी रणनीतिक लोकेशन है, जहां से दुनिया के 50% से ज्यादा तेल टैंकर गुजरते हैं। मार्च 2023 तक ईरान का डेली ऑयल प्रोडक्शन 2.5 मिलियन बैरल था, जो अब बढ़कर 3.3 मिलियन बैरल हो गया है. भले ही ये उत्पादन इराक या यूएई से कम हो, लेकिन ईरान की स्ट्रेटजिक पोजिशन उसे वैश्विक सप्लाई चेन में बेहद अहम बनाती है। यही वजह है कि ओपेक+ में उसकी आवाज भी सुनी जाती है, लेकिन जब ग्रुप एकमत हो, तो ईरान भी पीछे हटने को मजबूर होता है.
क्यों डरता है ईरान OPEC+ से?
ईरान आमतौर पर किसी देश के आगे नहीं झुकता. अमेरिका, इज़राइल, NATO और यूरोपीय संघ की आलोचना और प्रतिबंधों के बावजूद वह डटा रहता है. लेकिन OPEC+ का मामला अलग है. यहां ईरान के अपने हित भी जुड़े हैं. तेल उत्पादन, सप्लाई चेन और आर्थिक स्थिरता. इसके अलावा, रूस जैसे देश जो ईरान के सहयोगी माने जाते हैं, वो भी OPEC+ का हिस्सा हैं। ऐसे में अगर ग्रुप ने दबाव बनाया तो ईरान को सामूहिक हितों के लिए समझौता करना ही पड़ सकता है.
क्या OPEC+ रोक सकता है ईरान-इजराइल युद्ध?
भले ही OPEC+ कोई राजनीतिक संगठन न हो, लेकिन इसका आर्थिक दबाव बहुत भारी है। हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि ईरान-इज़राइल युद्ध की वजह से तेल की कीमतों में उछाल आया है। वहीं, इराक के डिप्टी पीएम ने चेतावनी दी कि यदि यह युद्ध नहीं रुका तो कच्चा तेल 200 डॉलर प्रति बैरल को पार कर सकता है.
हालांकि अब तक OPEC+ ने कोई आधिकारिक प्रयास युद्ध रोकने का नहीं किया है, लेकिन अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संकट और बढ़ा, तो यह ग्रुप ईरान को दबाव में लेने के लिए मजबूर हो सकता है.
अमेरिका से नहीं, OPEC+ से डरता है ईरान!
ईरान की विदेश नीति में सख्ती जरूर है, लेकिन OPEC+ के सामूहिक हितों के सामने वो भी समझौते की राह पकड़ता है. कच्चे तेल की वैश्विक राजनीति में OPEC+ का रोल किसी सुपरपावर से कम नहीं। यही वजह है कि इस ग्रुप की नाराजगी ईरान के लिए किसी बमबारी से कम नहीं होती.