इजराइली एयर डिफेंस फेल? सटीकता 90% से गिरकर 65% पर आई
ईरान के मिसाइल हमलों के बीच इजराइल के एयर डिफेंस सिस्टम की क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार इंटरसेप्ट दर में गिरावट आई है. तेल अवीव और हाइफा जैसे अहम शहर लगातार निशाने पर हैं. ईरान की हाइपरसोनिक मिसाइलों से निपटना चुनौती बन गया है.

ईरान और इजराइल के बीच चल रही जंग अब और भी खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुकी है. ईरान की तरफ से लगातार मिसाइल हमले हो रहे हैं, जिनका जवाब इजराइल हवाई हमलों से दे रहा है. हालांकि, इस संघर्ष के 9वें दिन एक नई चिंता सामने आई है—इजराइल के एयर डिफेंस सिस्टम की कमजोर होती मारक क्षमता. पहले जहां ये डिफेंस सिस्टम ईरानी मिसाइलों का 90 फीसदी तक इंटरसेप्शन कर रहे थे, वहीं अब NBC न्यूज़ के मुताबिक, यह दर गिरकर सिर्फ 65 फीसदी रह गई है.
इजराइल के वरिष्ठ खुफिया अधिकारियों ने इस गिरावट को रणनीतिक खतरा बताया है. वॉल स्ट्रीट जनरल और न्यूजवीक ने भी रिपोर्ट किया है कि शायद मिसाइल इंटरसेप्टर की संख्या कम हो गई है, जिससे इजराइल अब सेलेक्टिव इंटरसेप्शन की नीति अपना रहा है. यानी सिर्फ उन्हीं मिसाइलों को आसमान में रोका जाएगा, जो रणनीतिक ठिकानों को निशाना बना रही हों. नतीजतन, आम रिहायशी इलाकों पर गिर रही मिसाइलें भारी तबाही मचा रही हैं.
हाइपरसोनिक और बैलिस्टिक मिसाइलें बनीं बड़ी चुनौती
ईरान की नई पीढ़ी की हाइपरसोनिक और बैलिस्टिक मिसाइलें इजराइल के लिए बड़ी चुनौती बन गई हैं. ये मिसाइलें इतनी तेज़ हैं कि इजराइली डिफेंस सिस्टम को जवाब देने का वक्त ही नहीं मिलता. इस टेक्नोलॉजिकल अंतर ने इजराइल को रक्षात्मक मोर्चे पर कमजोर कर दिया है.
तेल अवीव और हाइफा फिर बने निशाना
जंग के 9वें दिन ईरान ने एक बार फिर तेल अवीव और हाइफा को निशाना बनाया. तेल अवीव की तरफ भेजी गई मिसाइल को इजराइली डिफेंस सिस्टम ने समय रहते हवा में ही नष्ट कर दिया. लेकिन हाइफा में हमला सफल रहा. वहां दो रणनीतिक पोजीशन और एक ऐतिहासिक मस्जिद तबाह हो गई. इस हमले से इजराइल को भारी नुकसान हुआ है.
तेल अवीव: इजराइल की धड़कन
तेल अवीव सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि इजराइल की राजनीतिक और सैन्य धुरी है. यहां सरकार बैठती है, युद्ध की रणनीति बनती है और सेना का संचालन होता है. यही वजह है कि ईरान बार-बार इसे निशाना बना रहा है. दूसरी ओर, हाइफा एक पोर्ट सिटी है जो इजराइल के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार और सैन्य आपूर्ति की लाइफलाइन है.
ईरान की रणनीति साफ है
ईरान जानता है कि अगर उसने हाइफा की आपूर्ति श्रृंखला ठप कर दी, तो इजराइल को हथियारों और जरूरी सामग्री की आपूर्ति मुश्किल हो जाएगी. इसी मकसद से वह हाइफा पर लगातार हमले कर रहा है ताकि इजराइल को अंतरराष्ट्रीय मदद से रोका जा सके. जंग अब महज़ सैन्य नहीं, रणनीतिक और तकनीकी मोर्चे पर भी लड़ी जा रही है.