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ना चला इस्लाम कार्ड, ना ही उठा कश्मीर मुद्दा; ईरान ने नहीं दिया पाकिस्तान का साथ

पाकिस्तान और ईरान के साझा बयान में गाजा का जिक्र प्रमुख रहा. दोनों देशों ने इजरायल की तीखी निंदा की. ईरान ने पाकिस्तान की तारीफ करते हुए कहा कि उसने पश्चिमी दबाव के बावजूद इजरायल से रिश्ते सामान्य नहीं किए, जो गाजा के मुद्दे पर उसका सख्त रुख दर्शाता है.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

इंटरनेशनल न्यूज. पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाक रिश्तों में बढ़े तनाव के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और फील्ड मार्शल बने जनरल आसिम मुनीर इस्लामी सहयोग की आस में तुर्की और ईरान के दौरे पर निकल पड़े. पहले तुर्की में नेताओं से भेंट करने के बाद दोनों शीर्ष पाकिस्तानी नेता तेहरान पहुंचे जहां उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई से मुलाकात की. इस मुलाकात में पाकिस्तान ने भारत के साथ चल रहे तनाव की बात उठाई और इस्लामी भाईचारे का हवाला देकर समर्थन मांगा.

पाकिस्तान ने उम्मीद जताई थी कि खामेनेई कश्मीर मुद्दे को साझा बयान में शामिल करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. शहबाज शरीफ और मुनीर ने कश्मीर का मुद्दा जोर-शोर से उठाया, लेकिन अयातुल्लाह खामेनेई ने किसी भी प्रकार की सीधी टिप्पणी करने से परहेज किया. साझा बयान में सिर्फ इतना कहा गया कि भारत और पाकिस्तान को आपसी विवादों का समाधान संवाद से निकालना चाहिए. इससे साफ हुआ कि ईरान भारत के साथ अपने रिश्तों में संतुलन बनाए रखना चाहता है.

गाजा पर एक सुर, मगर कश्मीर पर नहीं

हालांकि ईरान और पाकिस्तान ने साझा बयान में गाजा का मुद्दा उठाया और इज़रायल की तीखी आलोचना की. ईरान ने पाकिस्तान की इस बात के लिए तारीफ की कि उसने पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद इज़रायल से रिश्ते सामान्य नहीं किए. ईरानी नेतृत्व ने इसे गाजा पर पाकिस्तान के 'मजबूत स्टैंड' के रूप में सराहा. लेकिन जब बात कश्मीर की आई, तो ईरान ने चुप्पी साध ली, जिससे पाकिस्तान को निराशा हाथ लगी.

शरीफ ने मांगा भारत से संवाद

ईरानी प्रधानमंत्री मसूद पजेशकियान के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में शहबाज शरीफ भारत से वार्ता की गुहार लगाते नजर आए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हमेशा से संवाद का पक्षधर रहा है और वह पानी, आतंकवाद और व्यापार जैसे मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार है. हालांकि इस बयान के पीछे भारत पर दबाव बनाने की मंशा भी साफ झलकी.

भारत का पुराना रुख याद आया

गौरतलब है कि खामेनेई ने एक बार पहले भी कश्मीर का जिक्र अपने सार्वजनिक बयान में किया था, जिसके बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी. संभवतः उसी कूटनीतिक दबाव के चलते इस बार ईरानी नेतृत्व ने साझा बयान में कश्मीर पर कोई स्पष्ट टिप्पणी करने से बचाव किया.

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27 May 2025, 01:47 PM IST

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