पाकिस्तान नहीं जीत सकता भारत से युद्ध....पूर्व सीआईए अधिकारी के खुलासे से इल्लामाबाद में मचा हड़कंप
पूर्व सीआईए अधिकारी जॉन किरियाको ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच पारंपरिक युद्ध पाकिस्तान के लिए विनाशकारी होगा. उन्होंने खुलासा किया कि 2002 में पेंटागन पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार पर नियंत्रण रखता था. किरियाको ने भारत की सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट हमलों की कड़ी कार्रवाई का उदाहरण दिया.

पूर्व सीआईए अधिकारी जॉन किरियाको ने पाकिस्तान और भारत के बीच संभावित युद्ध पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की है. उनका कहना है कि किसी भी पारंपरिक युद्ध से पाकिस्तान को भारी नुकसान होगा और इससे कुछ भी सकारात्मक परिणाम नहीं निकलेंगे. किरियाको ने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच वास्तविक युद्ध से कुछ भी अच्छा नहीं होगा. पाकिस्तान हार जाएगा. मैं परमाणु हथियारों की बात नहीं कर रहा, केवल पारंपरिक युद्ध की. इसलिए लगातार उकसाव से पाकिस्तान को कोई लाभ नहीं होगा.
किरियाको ने किए कई बड़े खुलासे
किरियाको ने पाकिस्तान में अपने समय के दौरान एक चौंकाने वाले खुलासे का उल्लेख किया. 2002 में उन्हें अनौपचारिक रूप से यह जानकारी दी गई थी कि पेंटागन पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार पर नियंत्रण रखता है. उन्होंने कहा कि भारत को शायद ही कभी यह जानकारी दी गई होगी. पाकिस्तानियों ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि उनके परमाणु हथियार उनके नियंत्रण में हैं, लेकिन वास्तविक नियंत्रण अमेरिका के हाथ में था. इस खुलासे से पाकिस्तान के परमाणु सुरक्षा ढांचे और क्षेत्रीय संतुलन पर नए सवाल उठते हैं.
भारत का कड़ा रुख
किरियाको ने यह भी बताया कि भारत ने पाकिस्तान द्वारा परमाणु ब्लैकमेल या सीमा पार आतंकवाद को कभी बर्दाश्त नहीं किया. उन्होंने भारत की निर्णायक कार्रवाइयों को उदाहरण के तौर पर रखा. इसमें 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 के बालाकोट हवाई हमले और हालिया ऑपरेशन सिंदूर शामिल हैं, जो आतंकवादी ढांचे और ठिकानों को निशाना बनाने के लिए किए गए. उनका कहना है कि भारत ने बार-बार स्पष्ट संदेश दिया कि वह अपने नागरिकों और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए निर्णायक कदम उठाएगा.
अब्दुल कादिर खान का मामला
पूर्व अधिकारी ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम में शामिल भौतिक विज्ञानी अब्दुल कादिर खान के बारे में भी खुलासा किया. किरियाको ने कहा कि यदि अमेरिका ने इजरायली दृष्टिकोण अपनाया होता तो खान को हटाया जा सकता था. हालांकि, खान को सऊदी अरब का समर्थन प्राप्त था, इसलिए उसे सीधे निशाना बनाना संभव नहीं था. यह बताता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति और क्षेत्रीय सहयोग कैसे रणनीतिक फैसलों को प्रभावित करता है.
किरियाको का भंडाफोड़
किरियाको ने अपने सीआईए करियर का पहला हिस्सा विश्लेषण और दूसरा हिस्सा आतंकवाद-रोधी अभियानों में बिताया. 2007 में उन्होंने सार्वजनिक रूप से एजेंसी के हिरासत और यातना कार्यक्रम का भंडाफोड़ किया. इस खुलासे के कारण उन पर कानूनी आरोप लगे, जिन्हें बाद में हटा दिया गया. उनका करियर और अनुभव पाकिस्तान में आतंकवाद और परमाणु रणनीति के जटिल पहलुओं को समझने में महत्वपूर्ण हैं.
किरियाको का विश्लेषण न केवल पाकिस्तान-भारत संबंधों में तनाव और संभावित युद्ध के खतरों को उजागर करता है, बल्कि यह दिखाता है कि पारंपरिक और परमाणु क्षमताओं के संतुलन के बीच अंतरराष्ट्रीय रणनीति किस प्रकार काम करती है.


