ICU में पाकिस्तान की इकोनॉमी, पांच गुना बढ़ा कर्ज...आतंकिस्तान की आर्थिक बर्बादी का सच आया सामने
पाकिस्तान का सार्वजनिक ऋण मार्च 2025 में 76 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच गया है, जो पिछले चार वर्षों में दोगुना हुआ है. IMF से 1.03 अरब डॉलर की सहायता मिली है. गरीबी दर 45% तक पहुंच गई है. भारत ने अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से पाकिस्तान की सहायता पर सवाल उठाए हैं.

आतंक और आतंकवादियों को पालने-पोषने वाले पाकिस्तान के आर्थिक हालात बेहद खराब हो चले हैं. पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, देश का सार्वजनिक ऋण अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है, जिससे वित्तीय संकट और आर्थिक अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो गई है.
सार्वजनिक ऋण में अभूतपूर्व वृद्धि
मार्च 2025 को समाप्त वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान का कुल सार्वजनिक ऋण 76,007 बिलियन पाकिस्तानी रुपये (76 ट्रिलियन रुपये) तक पहुंच गया है, जो भारतीय रुपये में लगभग 23.1 ट्रिलियन रुपये और अमेरिकी डॉलर में लगभग 269.344 बिलियन डॉलर के बराबर है. यह आंकड़ा 2020-21 में 39,860 बिलियन रुपये था, यानी पिछले चार वर्षों में ऋण दोगुना हो गया है. दस साल पहले, यह आंकड़ा 17,380 बिलियन रुपये था, जिससे स्पष्ट है कि एक दशक में ऋण में लगभग पांच गुना वृद्धि हुई है.
घरेलू और बाहरी ऋण का विवरण
इस 76,007 बिलियन रुपये के ऋण में से 51,518 बिलियन रुपये घरेलू ऋण और 24,489 बिलियन रुपये बाहरी ऋण के रूप में हैं. पाकिस्तान के आर्थिक सर्वेक्षण में चेतावनी दी गई है कि "अत्यधिक या खराब तरीके से प्रबंधित कर्ज गंभीर कमज़ोरियाँ पैदा कर सकता है, जैसे कि ब्याज का बोझ बढ़ना और अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह दीर्घकालिक राजकोषीय स्थिरता और आर्थिक सुरक्षा को कमज़ोर कर सकता है."
आईएमएफ से सहायता
पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की विस्तारित निधि सुविधा के तहत 1.03 अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता मिली है. हालांकि, IMF के साथ जारी 7 अरब डॉलर के कार्यक्रम के तहत पाकिस्तान को संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है, जैसे कि कर आधार का विस्तार और सार्वजनिक व्यय में कटौती, ताकि वित्तीय स्थिरता प्राप्त की जा सके.
गरीबी में वृद्धि और सामाजिक संकट
विश्व बैंक के अनुसार, पाकिस्तान की लगभग 45 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है, जबकि 16.5 प्रतिशत लोग अत्यधिक गरीबी में हैं. 2024 में गरीबी दर 25.3 प्रतिशत तक पहुंच गई, जिससे लगभग 13 मिलियन लोग गरीबी में शामिल हो गए. यह वृद्धि कोविड-19, विनाशकारी बाढ़ और उच्च मुद्रास्फीति जैसे आर्थिक और प्राकृतिक झटकों के कारण हुई है.
भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सहायता पर उठाए सवाल
भारत ने IMF और विश्व बैंक के समक्ष यह मामला उठाया है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद के उद्देश्यों के लिए वैश्विक सहायता का दुरुपयोग कर रहा है. इससे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है.