पाकिस्तान ने US को भेजी दुर्लभ खनिजों की पहली खेप, इमरान खान की पार्टी ने जताया विरोध
Pakistan rare earth minerals : पाकिस्तान ने पहली बार अमेरिका को दुर्लभ खनिजों की खेप भेजी है, जिसमें एंटीमोनी, कॉपर और दुर्लभ पृथ्वी तत्व शामिल हैं. यह डील अमेरिकी कंपनी USSM और पाकिस्तानी सैन्य संस्था FWO के बीच हुई है. इमरान खान की पार्टी PTI ने इन सौदों को "गुप्त" बताते हुए विरोध जताया है और पासनी पोर्ट की पेशकश पर भी चिंता जताई है. पारदर्शिता की मांग जोरों पर है.

Pakistan rare earth minerals : पाकिस्तान ने अमेरिका को पहली बार दुर्लभ पृथ्वी तत्वों और महत्वपूर्ण खनिजों (critical minerals) की एक खेप भेजी है. यह कदम हाल ही में अमेरिका की एक कंपनी के साथ किए गए समझौते के तहत उठाया गया है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान के खनिज संसाधनों की खोज और विकास करना है. इस डील और उसके परिणामस्वरूप हुई खेप ने पाकिस्तान में राजनीतिक विरोध को जन्म दिया है.
अमेरिकी कंपनी और FWO के बीच समझौता
किस प्रकार के खनिज भेजे गए?
डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका भेजी गई पहली खेप में एंटीमोनी (antimony), कॉपर कंसंट्रेट (copper concentrate) और दुर्लभ पृथ्वी तत्व जैसे नियोडाइमियम (neodymium) और प्रेसीओडाइमियम (praseodymium) शामिल हैं. यह सभी खनिज स्थानीय रूप से तैयार किए गए थे, जिसमें FWO की भूमिका प्रमुख रही.
US-PAK के बीच रणनीतिक साझेदारी
USSM ने इस खेप को अमेरिका-पाकिस्तान रणनीतिक संबंधों में एक "महत्वपूर्ण मील का पत्थर" बताया है. कंपनी के अनुसार यह समझौता पूरी खनिज मूल्य श्रृंखला (value chain) पर सहयोग का ढांचा तैयार करता है जिसमें अन्वेषण, प्रसंस्करण और रिफाइनिंग जैसे सभी चरण शामिल हैं.
इमरान खान की पार्टी PTI का विरोध
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने इन समझौतों को "गुप्त सौदे" बताते हुए विरोध जताया है. पार्टी के सूचना सचिव शेख वकास अक़राम ने सरकार से इन सौदों की पूरी जानकारी संसद और जनता के सामने रखने की मांग की है. उनका कहना है कि इस तरह के सौदे देश की संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों के लिए खतरनाक हो सकते हैं.
पासनी पोर्ट को लेकर भी उठे सवाल
विवाद केवल खनिजों तक सीमित नहीं है. एक और रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान सरकार अमेरिका को पासनी पोर्ट तक पहुंच देने की योजना बना रही है, जो कि चीन समर्थित ग्वादर पोर्ट के नजदीक स्थित है. यह रणनीतिक स्थान ईरान के चाबहार पोर्ट के भी काफी पास है, जिसे भारत विकसित कर रहा है. PTI ने इस कदम को औपनिवेशिक युग की "रियायतों" से तुलना की है.
ट्रंप से मुलाकात और 'चट्टानों का बक्सा'
White House द्वारा जारी की गई एक तस्वीर में देखा गया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक डिब्बे में रखी चट्टानों को देख रहे हैं, जो दुर्लभ खनिज बताए जा रहे हैं. तस्वीर में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ट्रंप को कुछ समझा रहे हैं और प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ मुस्कुराते हुए नजर आ रहे हैं. इस दृश्य ने देश में कई सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर यह सौदे किस प्रकार, किन शर्तों और किन हितों के तहत किए जा रहे हैं.
इतिहास से सबक लेने की नसीहत
PTI प्रवक्ता ने मुग़ल बादशाह जहाँगीर द्वारा 1615 में सूरत बंदरगाह पर अंग्रेजों को व्यापारिक अधिकार देने के फैसले की याद दिलाई, जो बाद में भारत में उपनिवेशवाद की शुरुआत बना. उन्होंने चेतावनी दी कि वर्तमान में जो सौदे हो रहे हैं, वे कहीं वैसी ही ऐतिहासिक भूल न बन जाएं.
यह संपूर्ण प्रकरण पाकिस्तान के आर्थिक संकट, भू-राजनीतिक परिस्थितियों और संसाधनों के इस्तेमाल को लेकर गहरे सवाल खड़े करता है. एक ओर जहां देश विदेशी निवेश की तलाश में है, वहीं दूसरी ओर पारदर्शिता की कमी और सैन्य संस्थानों की भूमिका पर भी गंभीर आलोचना हो रही है.


