पाकिस्तान ट्रेन हमला: यात्रियों ने साझा की दिल दहला देने वाली दास्तां, आतंकियों ने हथियारों के बल पर डराया
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में 11 मार्च को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के आतंकवादियों ने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक कर लिया था. यह घटना 24 घंटे से ज्यादा पुरानी हो चुकी है, लेकिन अब तक पाकिस्तानी सेना आतंकवादियों के खिलाफ संघर्ष कर रही है. ट्रेन में 450 से अधिक यात्री सवार थे, जिनमें से 200 को आतंकवादियों ने पहाड़ी इलाकों में बंदी बना लिया. जबकि, सेना ने 27 आतंकवादियों को मार गिराया है, लेकिन मुठभेड़ में पाकिस्तानी सेना के 9 जवान भी मारे गए हैं.

11 मार्च को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के बोलन दर्रे के धादर इलाके में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के आतंकवादियों ने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन पर हमला किया और उसमें सवार 450 यात्रियों को बंधक बना लिया. यह घटना 24 घंटे पहले हुई थी, लेकिन अब तक पाकिस्तानी सेना आतंकवादियों के सामने असहाय नजर आ रही है. करीब 200 यात्रियों को आतंकवादियों ने पहाड़ी इलाकों में बंद कर रखा है. पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ में 9 सैनिक मारे गए हैं, जबकि सेना ने 27 आतंकवादियों को मार गिराया है. आतंकियों ने बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को छोड़ दिया है, लेकिन बाकी यात्रियों के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है.
जाफर एक्सप्रेस ट्रेन में सवार एक यात्री मुश्ताक मुहम्मद ने बताया कि आतंकवादियों ने पहले ट्रेन की एक सुरंग में विस्फोट किया, जिससे ट्रेन रुक गई. इसके बाद उन्होंने यात्रियों को बंधक बना लिया. मुश्ताक मुहम्मद के मुताबिक, विस्फोट इतना जोरदार था कि ट्रेन की खिड़कियां और दरवाजे हिल गए, और उनका एक बच्चा नीचे गिर गया. इसके बाद गोलीबारी शुरू हो गई, जो एक घंटे तक चलती रही. उन्होंने बताया कि आतंकवादियों ने कुछ यात्रियों के पहचान पत्र चेक किए और कुछ को अलग कर लिया.
हमले की कहानी एक यात्री की जुबानी
कहा जाता है कि आतंकवादियों ने अपनी बातचीत बलूची भाषा में की और उनके नेता ने बार-बार कहा कि सुरक्षाकर्मियों पर ध्यान रखें. मुश्ताक मुहम्मद ने यह भी कहा कि आतंकवादियों ने 11 यात्रियों को सुरक्षाकर्मी समझकर उनके कोच से बाहर निकाला और उनमें से एक ने विरोध किया, तो उसे बुरी तरह पीटने के बाद गोली मार दी गई.
यात्रियों ने चार घंटे पैदल चलकर अपनी जान बचाई
एक अन्य यात्री मुहम्मद अशरफ ने बताया कि आतंकवादियों ने महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को छोड़ दिया, लेकिन बाकी लोगों को नजदीकी रेलवे स्टेशन तक पहुंचने के लिए पैदल यात्रा करनी पड़ी. वे तीन से चार घंटे पैदल चलकर पनीर स्टेशन पहुंचे. यात्रियों के लिए यह एक डरावना और कठिन सफर था, क्योंकि उनमें से कई थके हुए थे और बच्चों और महिलाओं के साथ चल रहे थे.