रोटी की कतार में लगे थे लोग, इज़राइल ने बरसा दी गोलियां, 18 की मौत
ईरान के साथ संघर्षविराम के बाद इजराइल ने गाजा पर हमला तेज कर दिया है. हाल ही में इजरायली सेना ने आटा ले रहे लोगों की भीड़ पर गोलीबारी की, जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. हमले के बाद इलाके में दहशत फैल गई.

इजरायल और ईरान के बीच भले ही संघर्षविराम (सीजफायर) हो गया हो, लेकिन गाजा में तबाही थमने का नाम नहीं ले रही. इजरायल ने अब गाजा को फिर से निशाने पर ले लिया है. ताजा हमला बृहस्पतिवार को मध्य गाजा में हुआ, जिसमें 18 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. स्थानीय अस्पतालों के अधिकारियों के अनुसार, यह हमला तब हुआ जब बड़ी संख्या में लोग राहत सामग्री लेने पहुंचे थे.
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जिस वक्त इजरायली सेना ने हमला किया, उस समय आम नागरिकों की भीड़ फलस्तीनी पुलिस से आटे की बोरियां ले रही थी. ये आटा उन राहत ट्रकों से बरामद किया गया था जिन्हें लूटने वाले गिरोहों से जब्त किया गया था. हालात इतने भयावह थे कि गोलियों की आवाज़ सुनते ही लोग इधर-उधर भागने लगे. कई लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गए.
खाद्य आपूर्ति पर नियंत्रण और संकट
गाजा में पिछले करीब ढाई महीने से खाद्य सामग्री की आपूर्ति पर लगभग पूर्ण अवरोध लगा हुआ था. मई के मध्य से इजरायल ने सीमित मात्रा में मदद भेजने की अनुमति दी है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की मानें तो वहां राहत वितरण अब भी बेहद मुश्किल है. सशस्त्र गिरोह कई बार ट्रकों को लूट लेते हैं, जिससे असली जरूरतमंदों तक सामग्री नहीं पहुंच पाती.
युद्ध का भयानक आंकड़ा: 50,000 से ज्यादा मौतें
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि अब तक 50,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा हैं. इसके अलावा 1 लाख से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं. दूसरी ओर, इजरायल का कहना है कि उसने इस युद्ध में हजारों आतंकवादियों को मार गिराया है.
7 अक्टूबर से गाजा पर कहर
इस पूरे संघर्ष की शुरुआत 7 अक्टूबर 2023 को हुई, जब हमास के आतंकियों ने दक्षिणी इजरायल में बड़ा हमला किया. इस हमले में 1,200 से अधिक लोग मारे गए और 251 लोगों को बंधक बना लिया गया. उसी दिन से इजरायल ने हमास को जड़ से मिटाने की कसम खाई और गाजा पर भीषण हमले शुरू कर दिए.
दहशत और मानवीय संकट
सीजफायर की घोषणा के बावजूद इजरायल की ओर से हो रही कार्रवाई यह साफ संकेत देती है कि जमीनी स्तर पर संघर्ष थमा नहीं है. गाजा में लोग राहत पाने की उम्मीद में घरों से बाहर निकलते हैं, लेकिन जान गंवा बैठते हैं. वहां दवाइयों, भोजन और पीने के पानी की भारी किल्लत है, और हर मोड़ पर मौत का खतरा मंडरा रहा है.


