बांग्लादेश की पहली महिला PM खालिदा जिया का राजनीतिक सफर: जानें संघर्ष, सत्ता और विवादों की पूरी कहानी
बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री और बीएनपी की दिग्गज नेता बेगम खालिदा जिया का 80 वर्ष की उम्र में ढाका के एवरकेयर अस्पताल में निधन हो गया. उन्होंने तीन बार प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व किया था.

नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की अध्यक्ष खालिदा जिया का 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. वह लंबे समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं और ढाका के एवरकेयर अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. उनके निधन की पुष्टि BNP मीडिया सेल ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर पोस्ट साझा कर की है. खालिदा जिया बांग्लादेश की राजनीति की उन शख्सियतों में शुमार थीं, जिन्होंने देश की सियासत को दशकों तक दिशा दी.
1945 में जन्मीं खालिदा जिया बांग्लादेश के इतिहास में प्रधानमंत्री बनने वाली पहली महिला थीं. उन्होंने तीन बार देश की बागडोर संभाली और अपने मजबूत राजनीतिक कद, फैसलों और तीखी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के लिए जानी गईं. उनके जाने से बांग्लादेश की राजनीति में एक युग का अंत माना जा रहा है.
खालिदा जिया का निधन
BNP मीडिया सेल के मुताबिक, खालिदा जिया का 30 दिसंबर 2025 को ढाका के एवरकेयर अस्पताल में निधन हुआ. वह लंबे समय से लिवर सिरोसिस, मधुमेह और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित थीं. 2025 की शुरुआत में उन्होंने बेहतर इलाज के लिए लंदन में उन्नत चिकित्सा उपचार भी कराया था, लेकिन ढाका लौटने के बाद उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई.
कौन थीं खालिदा जिया?
खालिदा जिया का जन्म वर्ष 1945 में हुआ था. साल 1981 में उनके पति और तत्कालीन राष्ट्रपति जियाउर रहमान की हत्या के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा. इसके बाद उन्होंने 1984 में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की कमान संभाली और पार्टी को एक मजबूत राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित किया.
राजनीतिक सफर और उपलब्धियां
खालिदा जिया के नेतृत्व में BNP ने 1991 में सत्ता हासिल की, जिसे लंबे सैन्य शासन के बाद बांग्लादेश में संसदीय लोकतंत्र की वापसी के तौर पर देखा गया. उन्होंने 1991 से 1996 तक, फिर 1996 में अल्पकालिक अवधि के लिए और इसके बाद 2001 से 2006 तक प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व किया.
उनके कार्यकाल में आर्थिक सुधार, बुनियादी ढांचे के विकास और प्रशासनिक फैसलों को लेकर चर्चा होती रही. इस दौरान अवामी लीग की नेता शेख हसीना के साथ उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता चरम पर रही, जिसे ‘बेगमों की लड़ाई’ कहा गया. यह टकराव तीन दशकों से ज्यादा समय तक बांग्लादेश की राजनीति की पहचान बना रहा.
कानूनी विवाद और रिहाई
साल 2018 में खालिदा जिया को जिया अनाथालय ट्रस्ट और जिया चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़े भ्रष्टाचार मामलों में 17 साल की सजा सुनाई गई थी. खालिदा जिया और BNP ने हमेशा इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया. अगस्त 2024 में शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद राष्ट्रपति के आदेश से उन्हें नजरबंदी से रिहा किया गया और बाद में कई बड़े मामलों में बरी कर दिया गया.
परिवार
खालिदा जिया के परिवार में उनके बड़े बेटे तारिक रहमान हैं, जो वर्तमान में BNP के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. उनके छोटे बेटे अराफात रहमान कोको का निधन 2015 में हो चुका है.


