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बिहार में राज्यसभा की 5 सीटों पर भयंकर खींचतान! NDA सहयोगी आपस में भिड़े, कौन मारेगा बाजी?

अप्रैल 2026 में राज्यसभा की पांच सीटों के लिए बिहार में चुनाव होने हैं. एनडीए के पास विधानसभा में मजबूत बहुमत होने से चार सीटें आसानी से जीतने की स्थिति में है, जबकि पांचवीं सीट विवादों में घिर गई है.

बिहार में अप्रैल 2026 में राज्यसभा की पांच सीटों के लिए चुनाव होने हैं. इन सीटों पर मौजूदा सांसदों का कार्यकाल पूरा हो रहा है, जिसमें जेडीयू के हरिवंश और राम नाथ ठाकुर, आरजेडी के प्रेम चंद गुप्ता और एडी सिंह तथा राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के उपेंद्र कुशवाहा शामिल हैं.

एनडीए के पास विधानसभा में मजबूत बहुमत होने से चार सीटें आसानी से जीतने की स्थिति में है, जबकि पांचवीं सीट के लिए थोड़ी अतिरिक्त मदद की जरूरत पड़ सकती है. इसी वजह से एनडीए के छोटे सहयोगी दल इन सीटों पर दावा ठोक रहे हैं.

एनडीए की मजबूत स्थिति

बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं और एनडीए के पास 202 से ज्यादा विधायक हैं. राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए करीब 41 विधायकों का समर्थन चाहिए. एनडीए चार सीटें तो आराम से हासिल कर सकता है. पांचवीं सीट के लिए विपक्ष से कुछ विधायकों की मदद लेनी पड़ सकती है. यही वजह है कि सहयोगी दलों में इसको लेकर होड़ मची हुई है. 

इन दावेदारों पर हो रही चर्चा 

बीजेपी से नितिन नवीन का नाम सबसे आगे चल रहा है. वे बांकीपुर से विधायक हैं और हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बने हैं. दिल्ली में उन्हें अच्छा आवास भी मिला है, जो उनकी बढ़ती अहमियत दिखाता है. कुछ लोगों का मानना है कि भोजपुरी स्टार पवन सिंह का नाम भी विचार में है. जेडीयू में हरिवंश और राम नाथ ठाकुर को फिर मौका मिल सकता है. दोनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी हैं और अनुभवी नेता माने जाते हैं. 

उपेंद्र कुशवाहा की सीट को लेकर उनकी पार्टी आरएलएम दावा कर रही है. पार्टी प्रवक्ता का कहना है कि 2025 विधानसभा चुनाव के दौरान इस पर सहमति बनी थी. हालांकि, सिर्फ चार विधायकों वाली पार्टी के लिए यह आसान नहीं होगा. 

पांचवीं सीट बना विवाद

पांचवीं सीट सबसे बड़ा सवाल है. केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान अपनी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के लिए दावा कर रहे हैं. पासवान अपनी मां रीना पासवान को राज्यसभा भेजना चाहते हैं. पार्टी के 19 विधायक हैं, लेकिन अकेले जीतने के लिए नंबर कम पड़ सकते हैं. जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी इस सीट पर नजर गड़ाए हुए है. 

विपक्ष की चुनौती

विपक्ष अगर पूरी तरह एकजुट हो जाए तो एक सीट जीत सकता है. महागठबंधन के पास करीब 41 विधायक हैं, लेकिन अनुशासन और एकता की कमी से मुश्किल हो सकती है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एनडीए की मजबूती से विपक्ष का प्रतिनिधित्व कम हो सकता है.

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