रूस ने तालिबान सरकार को दी आधिकारिक मान्यता, बना पहला देश
रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता दे दी है. रूसी राजदूत दिमित्री झिरनोव ने काबुल में तालिबान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात कर इस्लामी अमीरात को मान्यता देने के अपने सरकार के फैसले की जानकारी दी. यह फैसला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहम माना जा रहा है.

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जहां संकोच और असमंजस का माहौल बना हुआ है, वहीं रूस ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए तालिबान की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने की घोषणा कर दी है. इस घोषणा के साथ ही रूस दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है, जिसने अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली 'इस्लामी अमीरात' सरकार को मान्यता दी है.
रूसी संघ के राजदूत दिमित्री झिरनोव ने काबुल में तालिबान सरकार के विदेश मंत्री मावलवी अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात की. इस बैठक में झिरनोव ने अफगानिस्तान को आधिकारिक रूप से यह सूचना दी कि रूस की सरकार ने “इस्लामी अमीरात” को मान्यता देने का निर्णय लिया है. इसके अलावा रूसी विदेश मंत्रालय ने बताया कि अफगानिस्तान के नवनियुक्त राजदूत गुल हसन हसन से उनका परिचय पत्र भी प्राप्त कर लिया गया है, जो इस मान्यता की औपचारिक प्रक्रिया का हिस्सा है.
रूस का बदला हुआ कूटनीतिक रुख
रूस का यह कदम उसकी विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक परिवर्तन का प्रतीक है. रूस ने तालिबान को अब अपनी गैरकानूनी संगठनों की सूची से भी हटा दिया है, जिससे स्पष्ट हो जाता है कि वह अफगानिस्तान के साथ नए सिरे से राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करना चाहता है. रूसी विदेश मंत्रालय का कहना है कि इस मान्यता से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग और व्यापार को नई दिशा मिलेगी.
तालिबान की प्रतिक्रिया: ‘दूसरों के लिए उदाहरण’
तालिबान सरकार ने रूस के इस कदम का स्वागत किया है. विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने कहा कि यह फैसला रूस और अफगानिस्तान के बीच भरोसे और सहयोग का प्रतीक है. साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि रूस का यह कदम अन्य देशों को भी तालिबान सरकार को मान्यता देने के लिए प्रेरित करेगा. तालिबान के विदेश मंत्रालय ने इसे “एक सकारात्मक मिसाल” करार दिया है.
2021 से तालिबान की सत्ता में वापसी
गौरतलब है कि अगस्त 2021 में अमेरिका की सेना की वापसी के बाद तालिबान ने दोबारा अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया था. इसके बाद से अब तक किसी भी बड़े देश ने तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं दी थी. संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ जैसे संगठन अब भी मान्यता देने से इनकार करते रहे हैं. रूस की इस पहल से अफगानिस्तान को वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक स्वीकार्यता मिलने का रास्ता खुल सकता है. हालांकि यह कदम अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कई नए समीकरण भी तैयार कर सकता है.


