ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान नेताओं की पहली नजर, ढाका में हुई मुलाकात
विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान के नेशनल असेंबली के स्पीकर सरदार अयाज सादिक से हाथ मिलाया. यह मुलाकात अनौपचारिक थी और दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर कोई बातचीत नहीं हुई.

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का अंतिम संस्कार ढाका में आयोजित किया गया, जहां उन्हें उनके पति और पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान के बगल में सुपुर्द-ए-खाक किया गया. इस अवसर पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी मौजूद थे. अंतिम संस्कार के बाद जयशंकर ने बीएनपी के कार्यवाहक अध्यक्ष और खालिदा जिया के पुत्र तारिक रहमान से मुलाकात की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से एक पत्र सौंपते हुए गहरी संवेदना व्यक्त की.
जयशंकर ने पाकिस्तान के नेशनल असेंबली के स्पीकर से मिलाया हाथ
इस मौके पर विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान के नेशनल असेंबली के स्पीकर सरदार अयाज सादिक से भी हाथ मिलाया. यह मुलाकात अनौपचारिक थी और दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर कोई बातचीत नहीं हुई. सोशल मीडिया पर इस मुलाकात की तस्वीरें साझा की गईं, जिससे चर्चा शुरू हो गई कि भारत और पाकिस्तान के वरिष्ठ नेताओं की यह पहली मुलाकात ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई है. गौरतलब है कि सरदार अयाज सादिक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के करीबी नेताओं में शामिल हैं.
30 दिसंबर 2025 को हुआ था निधन
खालिदा जिया का निधन 30 दिसंबर 2025 को हुआ. वे 80 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद चल बसीं. अगले दिन उनकी नमाज-ए-जनाजा ढाका के माणिक मिया एवेन्यू में अदा की गई. इस अंतिम संस्कार में ढाका सहित फेनी, ब्रह्मणबरिया, मैमनसिंह, कुमिल्ला, गाजीपुर, मुंशीगंज और नारायणगंज जिलों से भारी संख्या में लोग पहुंचे. लोग बसों, ट्रकों और लॉरियों में सवार होकर अपनी प्रिय नेता को अंतिम श्रद्धांजलि देने आए.
सुबह से ही माणिक मिया एवेन्यू के आसपास लाउडस्पीकरों के माध्यम से कुरान की आयतें पढ़ी जा रही थीं और लोग ठंडे मौसम में नम आंखों से अपनी प्रिय नेता को अंतिम विदाई देने के लिए वहां जमा थे. खालिदा जिया का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ संपन्न हुआ, जिसमें उनके राजनीतिक योगदान और बांग्लादेश के लोकतंत्र में उनकी भूमिका को याद किया गया.
इस अवसर पर विभिन्न देशों के राजनयिक और क्षेत्रीय नेता भी मौजूद थे, जिन्होंने खालिदा जिया के प्रति सम्मान और संवेदना व्यक्त की. ढाका में आयोजित इस राजकीय अंतिम संस्कार ने न केवल बांग्लादेश के लोगों के लिए बल्कि दक्षिण एशिया के लिए भी उनकी महत्वपूर्ण राजनीतिक विरासत को यादगार बना दिया.


