चीन ने बनाया नो-सेल ज़ोन, साउथ कोरिया ने समुद्री कानून उल्लंघन पर उठाए सवाल
Yellow Sea Dispute: दक्षिण कोरिया ने नौवहन स्वतंत्रता को लेकर गंभीर चिंता जताई है. उसका कहना है कि पीले सागर में चीन की हालिया गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून के नियमों के विरुद्ध हो सकती हैं.

दक्षिण कोरिया ने हाल ही में पीले सागर में चीन द्वारा स्थापित "नो-सेल जोन" पर गहरी चिंता व्यक्त की है, जिसे दोनों देशों के संयुक्त रूप से प्रशासित क्षेत्र में लागू किया गया है. सियोल के विदेश मंत्रालय ने 24 मई, 2025 को इस कदम को लेकर औपचारिक आपत्ति जताई.
जहाजों की आवाजाही पर प्रतिबंध
रिपोर्टों के अनुसार, चीन ने 27 मई तक पीले सागर के कुछ हिस्सों में जहाजों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह क्षेत्र प्रोविजनल मीजर्स जोन (PMZ) के अंतर्गत आता है, जहां दोनों देशों के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन्स (EEZ) ओवरलैप करते हैं. हालांकि चीन ने इस प्रतिबंध का कारण सार्वजनिक रूप से नहीं बताया है, लेकिन दक्षिण कोरियाई मीडिया का मानना है कि यह सैन्य प्रशिक्षण से संबंधित हो सकता है.
दक्षिण कोरिया का कहना है कि दोनों देशों को PMZ में सैन्य अभ्यास करने की अनुमति है, लेकिन चीन का एकतरफा "नो-सेल जोन" बनाना नेविगेशन की स्वतंत्रता को गंभीर रूप से प्रतिबंधित करता है. सियोल ने इस मुद्दे को राजनयिक चैनलों के माध्यम से बीजिंग के समक्ष उठाया है.
ग्रे जोन रणनीति का हिस्सा
इसके अतिरिक्त, दक्षिण कोरियाई सरकार राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय सहित अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर यह मूल्यांकन कर रही है कि क्या चीन की कार्रवाई अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानून के अनुरूप है. कुछ रिपोर्टों के अनुसार, चीन ने इस इलाके में तीन इंफ्रास्ट्रक्चर बनाए हैं, जिन्हें वह एक्वाकल्चर फैसिलिटी बताता है. हालांकि, कुछ दक्षिण कोरियाई मीडिया आउटलेट्स ने अनुमान लगाया है कि ये घटनाक्रम ग्रे जोन रणनीति का हिस्सा हो सकता है. यह स्थिति दोनों देशों के बीच समुद्री विवादों को और जटिल बना सकती है और क्षेत्रीय सुरक्षा पर इसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं.


