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ताइवान का खुफिया बचाव-प्लान: हमला करने वाला ड्रैगन खून में सन जायेगा, चीन को चेतावनी

चीन ताइवान पर काबिज़ होना चाहता है, लेकिन ताइवान ने ऐसा रक्षा-नक़्शा बनाया है कि हमला महंगा और खतरनाक साबित होगा।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

International News: ताइवान पर हमला आसान नहीं है। ताइवान के पास जमीन छोटी हो सकती है पर उसकी रणनीति बड़ी और चालाक है। चीन की सेना दुनिया की सबसे बड़ी है पर हर लड़ाई की गिनती केवल आकार से नहीं होती। ताइवान ने अपनी रक्षा इस तरह बनाई है कि आक्रमण करने वाला भारी नुकसान उठाएगा। इसके लिए ताइवान ने नौसेना, वायु सेना और मिसाइलों को जोड़कर एक घातक ढाल बना रखा है। इस नीति का नाम है-साही रणनीति, जिसका मकसद हमला करने वालों को रुकावट में फंसाना है। जो कोई भी ताइवान पर काबिज़ होने आएगा, उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। 

चीन के अभ्यासों से दुनिया सतर्क है। हाल के महीनों में बीजिंग ने ताइवान के चारों तरफ सैन्य अभ्यास बढ़ा दिए हैं। यह अभ्यास कभी हकीकत में बदले तो संकट गंभीर हो सकता है। अमेरिका और अन्य देश इसे नज़दीकी से देख रहे हैं क्योंकि ये अभ्यास शांति के बजाय धमकी जैसा लगते हैं। ताइवान ने भी खाली नहीं बैठा; उसने अपने बचाव को मजबूत करने के लिए नए उपाय अपनाए हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर चीन हमला करेगा तो उसे सिर्फ जमीन नहीं मिलनी बल्कि भारी जज्बाती और सैन्य कीमत चुकानी होगी। इसलिए दुनिया की निगाहें इन घटनाओं पर टिकी हैं।

साही रणनीति: छोटे वार, बड़ा असर

साही रणनीति क्या करती है-पहलू समझिये। यह रणनीति छोटे-छोटे हिस्सों में चीन की बड़ी ताकत को डिस्टर्ब करती है। ताइवान बड़े जहाजों और फ़्लीट पर सीधा वार करने की बजाय तेज, छोटे हमलों से नुक़सान पहुँचाएगा। पनडुब्बियां, तेज़ टेक-ऑफ विमान और जमीन से दागी जाने वाली मिसाइलें इसका हिस्सा हैं। इन हथियारों से आने वाले बेड़े के रास्ते ख़तरनाक हो जाएंगे और आक्रमण costly यानी महंगा साबित होगा। जब हमले की लागत बहुत बढ़ जाए तो आक्रमण करने वालों का मन डगमगा जाता है।

पनडुब्बी व समुद्री खतरे निर्णायक

पनडुब्बियों और समुद्री खतरों की भूमिका बड़ी है। ताइवान की पनडुब्बियां चुपके से काम कर सकती हैं और बड़े बेड़े के लिए घातक साबित हो सकती हैं। समुद्र में बारूदी नाकाबंदी और खदानें आक्रमण मार्गों को बंद कर देंगी। छोटे तेज हमले बड़े जहाज़ों को नुकसान पहुंचा कर अपने-आप हट सकते हैं। इस तरह चीन का बेड़ा आगे बढ़ने से पहले भारी जोखिम मानेगा। नौसैनिक हमले को रोकना ताइवान की प्राथमिकता है और उसने इसे बारीकी से तैयार किया है।

मिसाइल का डर हमला महंगा बनाएगा

मिसाइलों का डर चीन को पीछे खींचेगा। ताइवान की मिसाइलें बड़े लक्ष्य नहीं, पर महत्वपूर्ण ढंग से काम करती हैं। वे धमकियों की तरह चीन के जहाज़ों और सैन्य ठिकानों पर चोट पहुंचा सकती हैं। मिसाइलें आक्रमण को धीमा और महंगा बना देंगी। साथ ही ताइवान की वायु श्रेष्ठता छोटे समय के लिए भी चीन के प्लान को विफल कर सकती है। जब हमला महंगा और जोखिमभरा दिखेगा, तो निर्णय-makers अपने कदम दोबारा सोचेंगे।

बड़े हस्तक्षेप से वैश्विक टकराव का खतरा

विशेषज्ञों की चेतावनी यह भी है कि तीसरा विश्व युद्ध का जोखिम तब ही उठेगा जब बड़े पावर सीधे टकराव में कूदें। अमेरिका ने ताइवान को समर्थन दिया है और हथियार भी भेजे हैं। इसलिए कोई भी बड़ा हमला केवल द्विपक्षीय मामला नहीं रहेगा; यह वैश्विक तनाव को बढ़ा सकता है। ताइवान जानता है कि अकेले संघर्ष में उसे जीतना मुश्किल होगा, इसलिए उसने अपनी रक्षा को ऐसे रूप में ढाला है कि किसी भी आक्रमण से पहले प्रतिद्वंद्वी दो बार सोचे।

हमला सोच-समझकर ही संभव होगा

सरल भाषा में नतीजा यह है-ताइवान ने खुद को आसानी से नहीं दिया। उसकी योजना है कि हमला इतना दर्दनाक, महंगा और खतरनाक हो कि चीन पीछे हटे या कम से कम हमले की हिम्मत न करे। युद्ध का रास्ता खुलता है तो हर कदम में भारी कीमत देना पड़ेगी। इसलिए फिलहाल चीन को सोच-समझकर ही कोई कदम उठाना होगा और विश्व समुदाय के लिए भी यही बेहतर है कि तनाव कम करने की राह निकाली जाए।

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09 October 2025, 06:07 PM IST

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