आतंकी मसूद अजहर का बड़ा कबूलनामा: जम्मू जेल में सुरंग खोदकर भागने की कोशिश नाकाम, आज भी भारतीय अफसरों का खौफ!
कानून को धोखा देने की कोशिश का अंजाम हमेशा भयानक होता है. खासकर जब यह कोशिश मसूद अजहर जैसे ठंडे दिमाग वाले, खूनी आतंकवादी से आती हो. ऐसे लोग सोचते हैं कि वे सजा से बच निकलेंगे, लेकिन न्याय का हाथ लंबा होता है. आखिरकार, उनके किए की सजा उन्हें जरूर मिलती है और वह सजा इतनी कड़ी होती है कि दूसरों के लिए भी सबक बन जाती है.

नई दिल्ली: पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर ने पहली बार सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया है कि 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर की जेल से भागने की कोशिश उसे भारी पड़ी थी. एक ऑडियो क्लिप में वह अपनी नाकाम फरारी की कहानी सुनाते हुए भावुक होता सुनाई देता है. यह भाषण पाकिस्तान में किसी खुले आयोजन का बताया जा रहा है, जहां लाउडस्पीकर से उसकी आवाज गूंजती सुनाई देती है.
खुफिया सूत्रों ने इस ऑडियो क्लिप की पुष्टि करते हुए इसे असली बताया है. ऑडियो में मसूद अजहर जम्मू क्षेत्र की कुख्यात कोट भलवाल जेल से सुरंग खोदकर भागने की योजना के विफल होने का जिक्र करता है और बताता है कि कैसे जेल प्रशासन की कार्रवाई ने उसकी हालत खराब कर दी.
कोट भलवाल जेल से सुरंग के जरिए फरारी की योजना
ऑडियो क्लिप में जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख यह कहता सुनाई देता है कि उसने कोट भलवाल जेल में रहते हुए किसी तरह औजार जुटाए और लंबे समय तक एक सुरंग खोदता रहा. यह जेल उच्च सुरक्षा के लिए जानी जाती है, जहां भारत द्वारा पकड़े गए कई खतरनाक आतंकियों को रखा गया है.
मसूद अजहर के मुताबिक, जिस दिन उसने सुरंग के रास्ते भागने की योजना बनाई थी, उसी दिन जेल अधिकारियों को उसकी साजिश का पता चल गया. वह कहते हुए टूट जाता है, मेरी भागने की योजना के आखिरी दिन उन्हें सुरंग का पता चला.
जेल प्रशासन की सख्ती और भय
ऑडियो में मसूद अजहर स्वीकार करता है कि कानून को धोखा देने की कोशिश की उसे कड़ी सजा मिली. उसने बताया कि जेल अधिकारियों ने न सिर्फ उसकी, बल्कि अन्य आतंकियों की भी जमकर पिटाई की. वह यह भी कहता है कि आज तक उसे जेल प्रशासन का डर सताता है.
उसके अनुसार, फरारी की कोशिश के बाद जेल में नियम बेहद सख्त कर दिए गए. उसे जंजीरों में बांध दिया गया, रोजमर्रा की गतिविधियों पर रोक लगा दी गई और नियम तोड़ने पर शारीरिक दंड दिया जाता था.
पाकिस्तान की आतंक नीति पर फिर उठे सवाल
मसूद अजहर का यह कबूलनामा एक बार फिर भारत के उस दावे को मजबूती देता है कि पाकिस्तान आतंकवाद को एक संगठित राज्य नीति के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है, ताकि भारत को अस्थिर किया जा सके.
फर्जी पहचान के साथ भारत आया था मसूद अजहर
मसूद अजहर फरवरी 1994 में फर्जी पहचान और पुर्तगाली पासपोर्ट के जरिए भारत आया था. उसका मकसद जम्मू-कश्मीर में जिहाद फैलाना और आतंकियों की भर्ती करना था. उसी साल उसे अनंतनाग से गिरफ्तार कर लिया गया. वह 1994 से 1999 तक जेल में बंद रहा. इस दौरान उसे छुड़ाने के लिए आतंकियों ने कई नाकाम कोशिशें कीं.
IC-814 अपहरण के बाद...
दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान IC-814 के अपहरण के दौरान भारत सरकार ने यात्रियों की रिहाई के बदले मसूद अजहर को छोड़ दिया था. इसके बाद उसने जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की और भारत में कई बड़े आतंकी हमलों से उसका नाम जुड़ा.
ऑपरेशन सिंदूर में परिवार के सदस्यों की मौत
मसूद अजहर ने एक बयान में कहा था कि भारत द्वारा पाकिस्तान के अंदर आतंकी ठिकानों पर किए गए क्रूज मिसाइल हमलों ऑपरेशन सिंदूर में उसके कम से कम 10 परिजन मारे गए. यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों द्वारा 26 नागरिकों की हत्या के जवाब में की गई थी. उसने यह भी कहा कि इस हमले में उसके चार करीबी सहयोगी भी मारे गए.


