जहां कभी होती थी पूजा, अब चलती हैं गोलियां, जानें थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर बने मंदिर विवाद की पूरी कहानी
कभी जहां सिर्फ भक्ति और शांति की प्रार्थनाएं होती थीं, आज वहां गोलियों की आवाज़ गूंज रही है. हम बात कर रहे हैं एक हजार साल पुराने उस शिव मंदिर की, जो अब थाईलैंड और कंबोडिया के बीच विवाद की जड़ बन गया है. इस मंदिर को लेकर दोनों देशों में तनाव इतना बढ़ गया है कि थाईलैंड की प्रधानमंत्री को भी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा. आइए जानें इस झगड़े की पूरी कहानी.

एक मंदिर जो कभी पूजा-पाठ और प्रार्थनाओं का केंद्र हुआ करता था, आज उस पर गोलियां चल रही हैं. लगभग एक हज़ार साल पुरानी ऐतिहासिक धरोहर ‘प्रेह विहेयर’ मंदिर, अब दो पड़ोसी देशों थाईलैंड और कंबोडिया के बीच तनाव और संघर्ष का कारण बन चुका है. इस मंदिर को लेकर वर्षों पुराना सीमा विवाद एक बार फिर सुलग उठा है, और अब यह इतना बढ़ चुका है कि इससे थाईलैंड की प्रधानमंत्री तक की कुर्सी हिल गई है.
थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगतर्न शिनावात्रा को 2 जुलाई को संवैधानिक अदालत ने निलंबित कर दिया. उन पर आरोप है कि उन्होंने कंबोडिया के एक वरिष्ठ नेता से 'चाचा' कहकर विवादास्पद फोन कॉल में घनिष्ठ संबंध दिखाए, वो भी ऐसे समय में जब दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव चरम पर था. यह कथित रूप से साधारण बातचीत अब थाईलैंड की राजनीति में भूचाल ला चुकी है.
प्रेह विहेयर मंदिर: विरासत जो विवाद बन गई
प्रेह विहेयर मंदिर 9वीं सदी का एक भव्य हिंदू मंदिर है, जिसे खमेर सम्राट सूर्यवर्मन ने भगवान शिव की आराधना के लिए बनवाया था. यह मंदिर कंबोडिया की सीमा में स्थित है, लेकिन थाईलैंड का दावा है कि मंदिर का कुछ हिस्सा उसकी ज़मीन में आता है. यह दावा लंबे समय से दोनों देशों के बीच टकराव की जड़ बना हुआ है.
UNESCO टैग के बाद भड़की आग
वर्ष 2008 में जब कंबोडिया ने इस मंदिर को UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल कराया, तभी से विवाद और भड़क गया. 2008 से 2011 के बीच इस क्षेत्र में कई बार फायरिंग हुई, जिसमें कई सैनिक और नागरिक मारे गए और हजारों लोग विस्थापित हुए. यह मंदिर अब सिर्फ ऐतिहासिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और सैन्य टकराव का केंद्र बन चुका है.
2024 की ताज़ा झड़प और नई तनातनी
28 मई 2025 को एक बार फिर हालात बिगड़ गए. कंबोडिया ने आरोप लगाया कि उसकी सेना जब नियमित गश्त पर थी, तभी थाईलैंड की सेना ने हमला कर दिया. वहीं थाईलैंड ने उलटा आरोप लगाया कि फायरिंग की शुरुआत कंबोडिया ने की. इस झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक की जान गई.
अंतरराष्ट्रीय अदालत की तैयारी
1 जून को कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट ने घोषणा की कि वो इस मसले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में ले जाएंगे. उनकी संसद ने भी इस फैसले को समर्थन दिया है. हालांकि थाईलैंड ICJ के अधिकार क्षेत्र को स्वीकार नहीं करता, फिर भी दोनों देश 14 जून को जॉइंट बाउंड्री कमेटी के तहत बातचीत पर सहमत हुए.
ASEAN की भूमिका पर सवाल
2011 में जब हालात इसी तरह गंभीर हुए थे, तब UNSC ने मामला ASEAN को सौंपा था, और इंडोनेशिया की पहल पर दोनों देशों ने निगरानी टीमों को मंजूरी दी थी. लेकिन इस बार ASEAN की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. यह भी चिंता का विषय बन गया है कि क्या क्षेत्रीय संगठन इस बार भी मध्यस्थता में सफल होंगे.
मंदिर के बहाने सत्ता पर चोट
प्रधानमंत्री शिनावात्रा पर लगे आरोपों ने थाईलैंड की राजनीतिक स्थिरता पर भी असर डाला है. उन पर लगे आरोपों में कंबोडियाई नेता से घनिष्ठ संबंध और ‘चाचा’ कहकर संबोधित करने जैसी बातें शामिल हैं. जनता का गुस्सा और विपक्ष की आक्रामकता इस राजनीतिक भूचाल को और तेज कर रही है.
विरासत या विवाद?
प्रेह विहेयर मंदिर अब केवल एक धार्मिक स्थल नहीं रहा, यह एक कूटनीतिक और रणनीतिक लड़ाई का प्रतीक बन चुका है. एक तरफ इतिहास और संस्कृति की विरासत है, तो दूसरी तरफ राष्ट्रवाद और सीमा सुरक्षा का सवाल.आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह विवाद किसी समाधान की ओर बढ़ेगा या फिर एक और संघर्ष की पटकथा लिखेगा.


