ट्रंप की राह पर कनाडा सरकार, अब भारतीयों की बढ़ेगी टेंशन
कनाडा की कार्नी सरकार अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जैसी सख्त नीतियों की दिशा में कदम बढ़ा रही है.सरकार एक नया प्रस्ताव तैयार कर रही है, जिसके तहत बड़े पैमाने पर अस्थायी वीज़ा (Temporary Visa) रद्द किए जा सकते हैं.

नई दिल्ली: कनाडा जाने का सपना देखने वालों के लिए एक बड़ी और निराशाजनक खबर सामने आई है. कनाडा की कार्नी सरकार अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जैसी सख्त नीतियों की दिशा में कदम बढ़ा रही है.सरकार एक नया प्रस्ताव तैयार कर रही है, जिसके तहत बड़े पैमाने पर अस्थायी वीज़ा (Temporary Visa) रद्द किए जा सकते हैं. इस प्रस्ताव का सीधा असर उन हजारों भारतीय आवेदकों पर पड़ सकता है, जो कनाडा जाकर पढ़ाई या नौकरी करने का सपना देख रहे हैं.
आंतरिक सरकारी दस्तावेजों से मिली जानकारी
रिपोर्ट के अनुसार, यह जानकारी आंतरिक सरकारी दस्तावेजों से मिली है. इमिग्रेशन, रिफ्यूजी और सिटिजनशिप कनाडा (IRCC) और कनाडा बॉर्डर सर्विस एजेंसी (CBSA) ने यह मांग रखी है कि अगर किसी समूह के वीज़ा में धोखाधड़ी, गलत दस्तावेज़ या दुरुपयोग के प्रमाण मिलते हैं, तो उन्हें अस्थायी वीजा को सामूहिक रूप से रद्द करने का अधिकार दिया जाए.
प्रस्ताव लागू होने पर क्या होगा
अभी तक यह प्रक्रिया अलग-अलग मामलों में की जाती है, यानी हर वीज़ा आवेदन को अलग से जांचा जाता है, लेकिन नए प्रस्ताव के लागू होने पर इमिग्रेशन मंत्री को यह अधिकार मिल जाएगा कि वे धोखाधड़ी, युद्ध, या जनस्वास्थ्य संकट जैसी परिस्थितियों में पूरे बैच के वीज़ा एक साथ रद्द कर सकें.
अस्थायी वीज़ा प्रणाली पर सवाल उठे
रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि हाल के वर्षों में कनाडा में शरणार्थी आवेदनों की संख्या बहुत बढ़ गई है और अस्थायी वीज़ा प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं. सरकारी एजेंसियों का कहना है कि कई देशों से आने वाले दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया बेहद कठिन हो गई है. खासकर, भारत व बांग्लादेश समेत अन्य देशों से आए आवेदनों में फर्जी दस्तावेज़ों और भ्रामक जानकारियों की संख्या बढ़ी है.
पिछले वर्ष बीस हजार से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने कनाडा में शरण के लिए आवेदन किया था. इनमें सबसे अधिक आवेदन भारत और नाइजीरिया के छात्रों ने किए थे. केवल भारतीय नागरिकों द्वारा किए गए शरण के दावों में भारी वृद्धि देखी गई है. मई 2023 में जहां यह संख्या 500 से कम थी, वहीं जुलाई 2024 तक यह लगभग 2000 प्रति माह पहुंच गई.
प्रस्ताव की आलोचना
सरकार का कहना है कि यह प्रस्ताव वीज़ा सिस्टम में सुधार का हिस्सा है, ताकि लंबित मामलों और धोखाधड़ी के मामलों को कम किया जा सके.लेकिन दूसरी ओर, मानवाधिकार समूहों और इमिग्रेशन वकीलों ने इस योजना की आलोचना की है. उनका कहना है कि अगर इसे बिना पारदर्शी प्रक्रिया के लागू किया गया, तो इससे हजारों लोगों को अनुचित तरीके से देश से निकाला जा सकता है.


