भारत-पाक युद्ध में चीन की असली परीक्षा! अरबों डॉलर के हथियार बाजार पर ड्रैगन की नजर

भारत-पाकिस्तान तनाव चीन के लिए अपने हथियारों की पहली युद्ध परीक्षा और वैश्विक हथियार बाज़ार में दबदबा बढ़ाने का सुनहरा मौका बन सकता है. चीनी हथियारों का प्रदर्शन अब दुनिया की निगाहों में है.

भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर अब चीन की पैनी नजर है. दक्षिण एशिया में अगर कोई सैन्य संघर्ष होता है, तो ये चीन की सैन्य ताकत की पहली असली परीक्षा बन सकता है. कारण साफ है कि पाकिस्तान की सेना में मौजूद 81 फीसदी हथियार चीन से आए हैं. ऐसे में अगर युद्ध छिड़ता है, तो चीन के हथियारों की क्षमताएं सीधे तौर पर वैश्विक मंच पर परखी जाएंगी.

दूसरी ओर, दुनिया में तेजी से बढ़ते हथियार बाज़ार में चीन की हिस्सेदारी बढ़ाने की भी यही एक सुनहरा मौका हो सकता है. 2023 में वैश्विक रक्षा उद्योग का रेवेन्यू 632 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें अमेरिका का दबदबा कायम है. लेकिन अब चीन इस इंडस्ट्री में नंबर-1 बनने के लिए बेताब है.

चीन के हथियारों की होगी पहली युद्ध परीक्षा?

भारत और पाकिस्तान के बीच की तनातनी अगर युद्ध में बदलती है, तो ये चीन के लिए एक निर्णायक मोड़ हो सकता है. पाकिस्तान के पास चीन द्वारा बनाए गए आधुनिक हथियार हैं- जैसे जे-10सी और जेएफ-17 फाइटर जेट्स, एचक्यू-9 एयर डिफेंस सिस्टम, सीएच-4 ड्रोन और एसएच-15 हॉवित्जर. जानकारों का कहना है कि ये हथियार युद्ध की दिशा तय कर सकते हैं.

SIPRI की रिपोर्ट का बड़ा खुलासा

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 से 2024 के बीच अमेरिका 41.7% के साथ दुनिया का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बना हुआ है. इसके बाद, फ्रांस, रूस, चीन और जर्मनी का स्थान आता है. चीन की हिस्सेदारी इस दौरान 5.8% रही, लेकिन वो इसे बढ़ाकर अमेरिका को चुनौती देना चाहता है.

चीनी हथियार क्यों हैं चर्चा में?

पाकिस्तान की सेना में इस्तेमाल हो रहे ज्यादातर हथियार या तो चीन से खरीदे गए हैं या चीनी तकनीक से बनाए गए हैं. ऐसे में किसी भी भारत-पाकिस्तान संघर्ष में चीनी हथियारों की प्रदर्शन क्षमता को दुनिया गौर से देखेगी. चीन अपने हथियारों को सस्ता और प्रभावी बताता है और ये युद्ध उसका दावा साबित करने का मौका बन सकता है.

शी जिनपिंग की सैन्य महत्वाकांक्षा

राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन ने सेना के आधुनिकीकरण पर विशेष जोर दिया है. 2025 के लिए चीन ने $249 अरब का रक्षा बजट तय किया है, जो पिछले साल से 7.2% ज्यादा है. इसके अलावा, साइबर वारफेयर, न्यूक्लियर आर्सेनल और पीपीपी मोड से हो रहे निवेश भी इसकी सैन्य महत्वाकांक्षाओं को दर्शाते हैं.

अमेरिका से छिड़ा ट्रेड वॉर

अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर जारी है. दोनों देशों ने एक-दूसरे पर भारी टैरिफ लगाए हैं. स्विट्ज़रलैंड में हो रही प्रतिनिधियों की बैठक से भी कोई बड़ा हल निकलने की उम्मीद नहीं है. ऐसे में चीन अपनी सस्ती मिलिट्री प्रोडक्ट्स को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाने की कोशिश में है.

महंगे अमेरिकी बनाम सस्ते चीनी हथियार

अमेरिकी एफ-22 रैप्टर की कीमत जहां $143 मिलियन है, वहीं चीन का जे-20 फाइटर $110 मिलियन में उपलब्ध है. ऐसे में जो देश महंगे फाइटर जेट नहीं खरीद सकते, वे चीन की ओर रुख कर रहे हैं. यही चीन के लिए एक बड़ा मौका है. भारत-पाक तनाव के बीच चीन के जेएफ-17 थंडर फाइटर बनाने वाली कंपनी के शेयरों में 5 दिन में 50% की तेजी आई है. यह इस बात का संकेत है कि चीन को इस संघर्ष से आर्थिक और रणनीतिक, दोनों तरह से फायदा मिल सकता है.

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10 May 2025, 03:52 PM IST

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