रेसिप्रोकल टैरिफ पर ट्रंप का अल्टीमेटम: "हमारा मन होगा तो लागू करेंगे!"
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि 9 जुलाई की टैरिफ डेडलाइन अंतिम नहीं है. उन्होंने संकेत दिए कि हालात के अनुसार इसे आगे बढ़ाया जा सकता है. ट्रंप ने दो टूक कहा कि व्यापार वार्ताओं की प्रगति के आधार पर फैसले बदले जा सकते हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने खास अंदाज़ में वैश्विक व्यापार पर अपनी नीति स्पष्ट कर दी है. 9 जुलाई की टैरिफ डेडलाइन को लेकर ट्रंप ने कहा कि यह कोई अंतिम तारीख नहीं है. इसे आगे बढ़ाया भी जा सकता है और घटाया भी यह इस बात पर निर्भर करेगा कि दूसरे देशों से व्यापार वार्ताएं कैसी चल रही हैं.
व्हाइट हाउस में मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, “हम जब चाहें फैसला बदल सकते हैं. मैं तो चाहता हूं कि तुरंत फैसला लेकर सभी देशों को एक पत्र भेजूं—‘बधाई हो, अब आप 25 फीसदी टैक्स दे रहे हैं.’”
ईरान से हटकर अब व्यापार पर फोकस
जहां बीते हफ्ते ट्रंप प्रशासन की प्राथमिकता ईरान संकट और अमेरिकी टैक्स बिल था, अब राष्ट्रपति ट्रंप ने व्यापार को अपनी नीति का केंद्र बना लिया है. ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ यानी पारस्परिक शुल्क की नीति को अमेरिका अब सख्ती से लागू करने जा रहा है.
भारत और EU से बातचीत तेज, अमेरिका की शर्तें सख्त
भारत ने भी इस मसले पर तेज़ी दिखाई है और अपना व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन भेजा है. वहीं यूरोपीय यूनियन को अमेरिका की ओर से नया व्यापार प्रस्ताव भेजा गया है.
इस बीच अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने Fox Business Network को दिए इंटरव्यू में कहा कि लेबर डे (सितंबर की शुरुआत) तक कई बड़े समझौते पूरे हो सकते हैं. उनके मुताबिक, “हमारे पास 18 बड़े व्यापार साझेदार हैं. अगर इनमें से 10 या 12 के साथ समझौते हो जाते हैं, तो ये बड़ी सफलता होगी.”
8 जुलाई को खत्म हो रही है छूट
डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल 2025 में ‘रेसिप्रोकल टैरिफ सिस्टम’ लागू करने की घोषणा की थी. इसके तहत अधिकांश विदेशी उत्पादों पर 10% से ज्यादा टैरिफ प्रस्तावित था, लेकिन ट्रंप ने 90 दिनों की छूट दी थी ताकि देश बातचीत के ज़रिए समझौते कर सकें. यह छूट 8 जुलाई को समाप्त हो रही है.
ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि यदि कोई देश अमेरिकी प्रस्तावों पर समझौता नहीं करता, तो टैरिफ को सीधे 25% या इससे ऊपर ले जाया जा सकता है. यूरोपीय यूनियन को ट्रंप पहले ही 50% तक शुल्क लगाने की चेतावनी दे चुके हैं.
नतीजा क्या होगा?
ट्रंप की इस ‘डील या डैमेज’ रणनीति से साफ है कि अमेरिका अब व्यापारिक मोर्चे पर कोई नरमी नहीं बरतेगा. भारत और अन्य देशों के लिए यह कूटनीतिक संतुलन का समय है—जहां उन्हें अपने हित भी सुरक्षित रखने हैं और अमेरिका से बिगाड़ भी नहीं करना.


