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यमन में क्या पक रहा है? सऊदी अरब ने बताया क्यों अचानक बरसाए बम

यमन के मुकल्ला बंदरगाह पर सऊदी अरब ने UAE की हथियार खेप पर हमला किया, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ा. दबाव और यमन सरकार की आपत्ति के बाद UAE ने अपने सुरक्षा बलों को वापस बुलाया.

अचानक अरब के दो मुस्लिम देशों, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच विवाद ने पूरे क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींच लिया है. मामला यमन के मुकल्ला बंदरगाह पर हुआ, जब सऊदी अरब ने यूएई द्वारा भेजी गई हथियारों की खेप पर हमला किया. इस हमले ने इलाके में तुरंत तनाव पैदा कर दिया और विवाद को गंभीर बना दिया.

सऊदी अरब का कहना है कि यूएई की ओर से यमन में बड़ी मात्रा में हथियार भेजे जा रहे थे, जिनका इस्तेमाल अलगाववादी गुट कर सकते थे. इसके चलते सऊदी ने इस खेप पर बमबारी की. जानकारी के अनुसार, यमन के मुकल्ला बंदरगाह पर पहुंचे यूएई के दो जहाजों में लगभग 80 वाहन और कई कंटेनर थे, जिनमें हथियार और विस्फोटक सामग्री मौजूद थी. सऊदी अरब का आरोप है कि यह सब उसकी जानकारी के बिना भेजा गया था और अलगाववादियों के हाथ लगने वाला था.

UAE की प्रतिक्रिया और सुरक्षा बलों की वापसी

सऊदी अरब की कड़ी आपत्ति और हमलों के बाद, UAE ने यमन से अपने सुरक्षा बलों को वापस बुलाने का निर्णय लिया. अब तक यह सुरक्षा बल यमन में काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन के नाम पर तैनात थे, लेकिन सऊदी अरब की ओर से आरोप लगाए जा रहे थे कि ये बल अलगाववादी गुटों को समर्थन दे रहे हैं. सऊदी अरब ने आरोप लगाया था कि सदर्न ट्रांजिशन काउंसिल (STC) को हथियार भेजे जा रहे हैं. 

यमन सरकार का विरोध और दबाव

यूएई के विरोध में यमन की आधिकारिक सरकार भी सामने आई. यमन सरकार ने साफ कहा कि जो भी अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं, उन्हें 24 घंटे के भीतर देश छोड़ना होगा. इस कड़ी कार्रवाई और दबाव के बाद UAE को अपने कदम पीछे खींचने पड़े. वहीं, यह घटनाक्रम सिर्फ यमन के लिए ही नहीं बल्कि पूरे मध्य पूर्व के लिए चिंता का विषय बन गया है. सऊदी अरब और UAE के बीच यह तनाव क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है. 

सऊदी अरब और UAE के बीच यमन में हथियारों को लेकर यह टकराव यह दर्शाता है कि क्षेत्र में ताकत और सुरक्षा की लड़ाई कितनी नाजुक हो सकती है. अंततः UAE ने अपने सुरक्षा बलों को वापस बुलाकर विवाद को फिलहाल शांत करने की कोशिश की है, लेकिन इस घटना से अरब दुनिया में राजनीतिक तनाव और गहरा गया है.

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