अमेरिका में तहव्वुर राणा की आखिरी चाल फेल, सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई 26/11 के मास्टरमाइंड की याचिका, भारत आने की राह साफ
Tahawwur Rana: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 26/11 मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा की आपातकालीन याचिका खारिज कर दी है. राणा ने भारत में संभावित प्रताड़ना और अपनी खराब स्वास्थ्य स्थिति का हवाला देते हुए प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की अपील की थी, लेकिन अदालत ने इसे ठुकरा दिया.

Tahawwur Rana: मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण अब और करीब पहुंच गया है. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी आपातकालीन याचिका को खारिज कर दिया है. उसने भारत में प्रत्यर्पण पर रोक लगाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन न्यायमूर्ति एलेना कैगेन ने उसकी अपील ठुकरा दी.
राणा ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उसकी धार्मिक और सामाजिक पहचान के चलते भारत में उसे प्रताड़ित किया जा सकता है, लेकिन अमेरिकी अदालत ने इस आधार को मानने से इनकार कर दिया. इस फैसले के बाद अब राणा को जल्द ही भारत लाया जा सकता है, जहां उसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के सामने पेश किया जाएगा.
भारत में प्रताड़ना का दिया हवाला
तहव्वुर राणा ने अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि वह पाकिस्तानी मूल का मुसलमान और पाकिस्तानी सेना का पूर्व सदस्य है. इस वजह से भारत में उसे हिरासत के दौरान प्रताड़ित किया जा सकता है. उसने अपनी खराब स्वास्थ्य स्थिति का भी जिक्र किया, जिसमें धमनी का उभार और पार्किंसंस रोग शामिल है.
भारत पर लगाए आरोप
राणा ने अपनी याचिका में भारत सरकार पर भी सवाल उठाए और ह्यूमन राइट्स वॉच की 2023 वर्ल्ड रिपोर्ट का हवाला दिया. उसने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों के साथ भेदभाव करती है. हालांकि, अदालत ने इन दलीलों को स्वीकार नहीं किया और प्रत्यर्पण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
डेविड हेडली का करीबी सहयोगी है राणा
तहव्वुर राणा को 26/11 हमलों के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली का करीबी सहयोगी माना जाता है. हेडली ने 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों की साजिश रची थी, जिसमें 174 लोगों की जान गई थी. अमेरिका में राणा को प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की सहायता करने का दोषी ठहराया जा चुका है.
अमेरिका ने पहले ही प्रत्यर्पण की पुष्टि की थी
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राणा के प्रत्यर्पण की पुष्टि की थी. ट्रंप ने कहा था, "तहव्वुर राणा भारत जाएगा, जहां उसे न्याय का सामना करना पड़ेगा." इस बयान पर पीएम मोदी ने भी आभार व्यक्त किया था.
एनआईए करेगी पूछताछ
राणा के भारत आने के बाद उसे विशेष एनआईए अदालत में पेश किया जाएगा, जहां जांच एजेंसी उसकी हिरासत की मांग करेगी. भारतीय एजेंसियां इस प्रत्यर्पण को एक बड़ी जीत के रूप में देख रही हैं, क्योंकि वे लंबे समय से राणा को पकड़ने की कोशिश कर रही थीं.
पहले भी हुई थी सजा
राणा को अमेरिका में डेनमार्क में एक नाकाम आतंकी हमले के लिए दोषी ठहराया गया था और उसे 14 साल की सजा दी गई थी. हालांकि, भारत में उसकी आतंकी गतिविधियों पर कोई सजा नहीं हुई थी. इसके अलावा, डेविड हेडली ने भी अदालत में राणा के खिलाफ गवाही दी थी, जिससे उसके भारत में प्रत्यर्पण का आधार मजबूत हुआ.


