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क्या है डिस्कॉर्ड? जिसने बदल डाला नेपाल के सत्ता का समीकरण, चार्ली किर्क की हत्या में भी अहम किरदार

नेपाल में हिंसा के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म डिस्कॉर्ड सुर्खियों में छाया हुआ है. आखिर क्या है इस ऐप का जादू, जिसने न सिर्फ लोगों को जोड़ा, बल्कि नेपाल में बदलाव की चिंगारी भड़काकर सत्ता को हिलाकर रख दिया? आइए जानते हैं कैसे डिस्कॉर्ड ने नेपाल की सड़कों से लेकर सियासत तक आग की तरह बदलाव ला दिया.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

Discord Use In Protest: नेपाल में राजनीतिक भूचाल उस वक्त आया जब सरकार द्वारा 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया गया. इस फैसले के खिलाफ देश की Gen Z पीढ़ी ने बगावत का बिगुल फूंका और सड़कों पर उतर आई. Weeks-long विरोध प्रदर्शनों के चलते केपी शर्मा ओली सरकार को इस्तीफा देना पड़ा. इस जनआंदोलन के दौरान कम से कम 51 लोगों की जान चली गई. लेकिन यह विरोध सिर्फ नाराजगी की नहीं, एक नई राजनीतिक शुरुआत का माध्यम भी बना. सबसे अनोखी बात यह रही कि इस आंदोलन का नेतृत्व डिस्कॉर्ड जैसे गेमिंग चैट ऐप के जरिए हुआ और इसी के जरिए नेपाल को अगली प्रधानमंत्री मिली सुशीला कार्की जो अब देश की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बन चुकी हैं.

सोशल मीडिया बैन कैसे बना विद्रोह की चिंगारी

नेपाल में जब सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को प्रतिबंधित किया, तो इसका सबसे तीखा असर देश की Gen Z पीढ़ी पर पड़ा. युवाओं ने इस फैसले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना और आंदोलन का आगाज कर दिया. इस विरोध का केंद्र बना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Discord, जिसे अब केवल गेमिंग चैट ऐप नहीं, बल्कि डिजिटल क्रांति का मंच कहा जा रहा है.

 क्या है डिस्कॉर्ड?

डिस्कॉर्ड एक चैटिंग प्लेटफॉर्म है जिसकी शुरुआत 2015 में जेसन सिट्रॉन और स्टानिस्लाव विश्नेव्स्की ने की थी. पहले इसे गेमिंग कम्युनिटी के लिए बनाया गया था, लेकिन कोविड के दौरान यह तेजी से Gen Z के बीच पॉपुलर हुआ. इस ऐप पर यूजर चैनल्स के जरिए डिस्कशन, वॉयस चैट, वीडियो स्ट्रीमिंग और स्क्रीन शेयरिंग जैसी सुविधाएं प्राप्त करते हैं. यहां कोई फीड नहीं होता, जिससे ध्यान भटकता नहीं है, और चर्चा गंभीर होती है.

Discord पर कैसे चुना गया नेपाल का अगला नेता?

नेपाल में आंदोलनकारी युवाओं ने ‘Youth Against Corruption’ नामक एक डिस्कॉर्ड सर्वर बनाया, जिसमें करीब 1.30 लाख सदस्य जुड़े. इसी सर्वर पर एक पब्लिक पोल आयोजित हुआ जिसमें पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया. बुधवार, 10 सितंबर 2025 को हुए इस मतदान में कार्की को भारी समर्थन मिला. इसके बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उन्हें अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त कर शपथ दिलाई. हालांकि यह वोटिंग कितनी अधिकृत और भौगोलिक रूप से सटीक थी, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी, लेकिन इसका जनसरोकार और डिजिटल जनमत का प्रभाव स्पष्ट था.

आंदोलन का मास्टरप्लान

इस डिस्कॉर्ड सर्वर में आंदोलन को संगठित करने के लिए अलग-अलग चैनल बनाए गए थे इससे हर यूजर को सटीक, तेज़ और ट्रस्टेड जानकारी मिली, जिससे आंदोलन में पारदर्शिता और सामूहिक नेतृत्व मजबूत हुआ.

 चार्ली किर्क मामले में डिस्कॉर्ड की भूमिका

अमेरिका में हुई चार्ली किर्क के मौत के घटना में भी डिस्कॉर्ड की भूमिका सामने आई है. जहां यूटा वैली यूनिवर्सिटी में अमेरिकी एक्टिविस्ट हत्या के मामले में 22 वर्षीय टायलर रॉबिन्सन को गिरफ्तार किया गया. जांच के दौरान खुलासा हुआ कि रॉबिन्सन ने डिस्कॉर्ड पर कुछ टिप्पणियां की थीं, जिन्हें उसके रूममेट ने पुलिस को दिखाया. हालांकि प्लेटफॉर्म ने स्पष्ट किया कि उसके पास इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि हत्या की योजना उसी पर बनाई गई थी.

डिस्कॉर्ड केवल गेमिंग प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि वैश्विक डिजिटल एक्टिविज्म का नया चेहरा बनता जा रहा है. नेपाल में इसका उपयोग इस बात का प्रमाण है कि तकनीक अगर सही हाथों में हो तो सत्ता परिवर्तन का माध्यम भी बन सकती है.

 सुशीला कार्की के चुनाव में डिस्कॉर्ड की भूमिका 

डिस्कॉर्ड से चुनी गई सुशीला कार्की अब केवल एक नेता नहीं, बल्कि डिजिटल लोकतंत्र और युवा आंदोलन की प्रतीक बन चुकी हैं. उनका चयन पारंपरिक राजनीतिक सिस्टम को पीछे छोड़कर जनता की सीधी भागीदारी से हुआ वह भी डिस्कॉर्ड ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए.

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13 September 2025, 11:30 AM IST

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