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क्या है B-2 स्पिरिट बॉम्बर? अमेरिका ने ईरान पर हमला करने के लिए क्यों चुना ये 'स्टील्थ विमान

रविवार सुबह ईरान के तीन परमाणु ठिकानों फार्दो, नतांज और इस्फहान पर अमेरिका ने B-2 स्पिरिट बॉम्बर्स से हमला कर पूरी दुनिया को चौंका दिया. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद इसकी पुष्टि करते हुए इसे "बहुत सफल ऑपरेशन" बताया.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

ईरान और इज़रायल के बीच चल रहे संघर्ष ने तब नया मोड़ ले लिया जब अमेरिका ने सीधे तौर पर इस युद्ध में दखल देते हुए ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हवाई हमला कर दिया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार सुबह खुद इस हमले की पुष्टि करते हुए बताया कि फार्दो, नतांज और इस्फहान स्थित परमाणु साइट्स को अमेरिका के B-2 स्पिरिट बॉम्बर्स ने निशाना बनाया है. इन हमलों में अमेरिका ने अपनी सबसे घातक और तकनीकी रूप से उन्नत स्टील्थ बॉम्बर्स का उपयोग किया, जिन्हें दुनिया में सबसे महंगे और खतरनाक बमवर्षकों में गिना जाता है.

ट्रंप ने अपने Truth Social प्लेटफॉर्म पर लिखा है, 'हमने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों - फार्दो, नतांज और इस्फहान - पर बेहद सफल हमला किया है. सभी विमान अब ईरान की सीमा से बाहर आ चुके हैं. फार्दो पर पूरे पेलोड के साथ बम गिराए गए. हमारे सभी अमेरिकी योद्धा सुरक्षित हैं. दुनिया की कोई और सेना ऐसा नहीं कर सकती थी. अब शांति का वक्त है! धन्यवाद.'

क्या है B-2 स्पिरिट बॉम्बर? 

B-2 स्पिरिट बॉम्बर, जिसे आमतौर पर Stealth Bomber कहा जाता है, अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी Northrop Grumman द्वारा विकसित किया गया है. यह विमान उन्नत स्टील्थ तकनीक से लैस है, जिससे यह दुश्मन के रडार से बचते हुए गहरे रक्षा घेरे में प्रवेश कर सकता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह दुश्मन की वायु रक्षा प्रणाली को चकमा देकर जमीन के भीतर बने कठोर परमाणु ठिकानों को भी सटीकता से नष्ट कर सकता है.

यह दो पायलटों वाला बमवर्षक विमान है जिसकी पेलोड क्षमता 40,000 पाउंड से अधिक है.

यह परमाणु और पारंपरिक दोनों तरह के हथियारों को ले जाने में सक्षम है.

इसकी रेंज बिना रीफ्यूलिंग के 6,000 नॉटिकल मील से अधिक है, यानी यह अमेरिका से उड़ान भरकर सीधे ईरान जैसे दुश्मन देश तक हमला कर सकता है.

एरियल रीफ्यूलिंग के जरिए यह दुनिया के किसी भी कोने तक पहुंच सकता है.

क्यों हुआ B-2 का चयन ईरान हमले के लिए?

इस ऑपरेशन के लिए अमेरिका ने B-2 बॉम्बर्स का इस्तेमाल इसलिए किया क्योंकि ईरान के जिन परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया, वे जमीन के काफी नीचे बने हुए हैं और उन्हें नष्ट करने के लिए बेहद सटीक, भारी और शक्तिशाली बमों की जरूरत होती है.

B-2 स्पिरिट में लगाए गए बमों में शामिल 

GBU-57A/B MOP (Massive Ordnance Penetrator) यह अमेरिका का सबसे बड़ा पारंपरिक बम है जिसका वजन 30,000 पाउंड होता है. इसे खासतौर पर भूमिगत बंकरों को ध्वस्त करने के लिए बनाया गया है. यह बम इतने भारी होते हैं कि आम विमान उन्हें लेकर उड़ भी नहीं सकते. लेकिन B-2 की बनावट और इंजन इसे हवा में संतुलित रखते हैं.

सबसे महंगा सैन्य विमान

B-2 स्पिरिट बॉम्बर को दुनिया का सबसे महंगा सैन्य विमान माना जाता है. इसकी कीमत लगभग $2.1 बिलियन (करीब 17,500 करोड़ रुपये) है. इतनी कीमत में एक छोटा देश अपनी पूरी वायुसेना तैयार कर सकता है, लेकिन अमेरिका ने इसे केवल रणनीतिक हमलों के लिए ही तैनात किया है.

अमेरिका का संदेश: 'शांति के लिए शक्ति'

राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि हमने जो किया, वह केवल अमेरिका ही कर सकता था. अब वक्त है कि दुनिया शांति की ओर बढ़े. हालांकि इस हमले के बाद ईरान की प्रतिक्रिया पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. क्षेत्र में तनाव और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.

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22 June 2025, 04:16 PM IST

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