कौन थे हुसैन सलामी? इजरायली हमले में ईरान रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स चीफ की मौत
Hossein Salami: ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव ने शुक्रवार को नया मोड़ ले लिया जब इजरायल ने राजधानी तेहरान में बड़ा हवाई हमला किया. इस हमले में ईरान की अर्धसैनिक इकाई रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख हुसैन सलामी की मौत हो गई.

Hossein Salami: ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बीच शुक्रवार को हुई बड़ी सैन्य कार्रवाई में ईरान को गहरा झटका लगा है. इजरायल ने राजधानी तेहरान पर एक बड़े हमले को अंजाम दिया, जिसमें ईरान की अर्धसैनिक बल रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख हुसैन सलामी मारे गए. स्थानीय मीडिया और एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले में कई सैन्य और परमाणु ठिकानों को भी निशाना बनाया गया.
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व वाली इजरायली सरकार द्वारा अंजाम दिए गए इस हमले में तेहरान स्थित रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के मुख्यालय को आग के हवाले कर दिया गया. बताया जा रहा है कि हमले का मुख्य उद्देश्य ईरान की परमाणु परियोजना और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम से जुड़े शीर्ष अधिकारियों को निशाना बनाना था.
कौन थे हुसैन सलामी?
हुसैन सलामी का जन्म वर्ष 1960 में ईरान के गोलपाएगान शहर में हुआ था. वे उस समय ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) से जुड़े जब वे कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे. यह वह दौर था जब ईरान-इराक युद्ध छिड़ा हुआ था. युद्धकाल में उन्होंने जिस साहस और रणनीतिक कुशलता का प्रदर्शन किया, उसकी वजह से वे जल्द ही सैन्य ढांचे में ऊपर उठते चले गए.
कैसे बने IRGC के चीफ?
अपने सैन्य करियर में हुसैन सलामी ने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और उन्हें 2019 में IRGC का प्रमुख नियुक्त किया गया. 21 अप्रैल 2019 को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने उन्हें IRGC का कमांडर-इन-चीफ नियुक्त किया था. उन्होंने मेजर जनरल मोहम्मद अली जाफरी का स्थान लिया था. सलामी को ईरान की कट्टर सैन्य नीतियों का प्रमुख चेहरा माना जाता था.
इजरायली हमले में मौत
13 जून 2025 को इजरायल द्वारा किए गए एक बड़े एयरस्ट्राइक में हुसैन सलामी मारे गए. यह हमला उस समय हुआ जब तेहरान में स्थित कई सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया. रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स का मुख्यालय भी इस हमले की चपेट में आ गया.
हमले की पृष्ठभूमि
यह हमला उस समय हुआ जब ईरान का परमाणु कार्यक्रम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता का विषय बना हुआ है. गुरुवार को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने 20 सालों में पहली बार ईरान की निंदा की, क्योंकि ईरान ने निरीक्षकों के साथ सहयोग नहीं किया.
IAEA की आलोचना के बाद, ईरान ने तीसरे यूरेनियम संवर्धन केंद्र की स्थापना की घोषणा की, साथ ही पुराने सेंट्रीफ्यूजों को और अधिक उन्नत मशीनों से बदलने की योजना भी सामने आई.


