क्या 16 जुलाई तक यमन में फांसी पा चुकी नर्स निमिषा प्रिया को बचाया जा सकेगा? भारत सरकार और परिजनों ने उठाए ये कदम
केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में हत्या के मामले में फांसी की सजा मिली है. भारत सरकार, परिवार और सामाजिक संगठनों द्वारा उसे बचाने के लिए प्रयास जारी हैं. ब्लड मनी का विकल्प भी कमजोर पड़ता दिख रहा है. फांसी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और समय तेजी से निकलता जा रहा है.

यमन की राजधानी सना में एक हत्या के मामले में दोषी ठहराई गई केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी को रोकने के लिए भारत और कई संगठनों की ओर से कोशिशें जारी हैं. 37 वर्षीय निमिषा को स्थानीय अदालत ने हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी. लेकिन इस मामले की जटिलता भारत और यमन के राजनीतिक हालातों से भी जुड़ी हुई है.
भारत की कोशिशें
भारत सरकार निमिषा प्रिया को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. हालांकि, भारत के पास यमन में हूती विद्रोहियों से कोई औपचारिक राजनयिक संपर्क नहीं है. भारत की मान्यता प्राप्त यमनी सरकार से संबंध राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद के साथ हैं, जबकि निमिषा का मामला हूती-नियंत्रित क्षेत्र से जुड़ा है, जिसे 'सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल' कहा जाता है.
2023 में हूती शासित यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने निचली अदालत के फांसी के फैसले को बरकरार रखा. हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने फांसी को मंजूरी दी, लेकिन बाद में दिल्ली स्थित यमनी दूतावास ने स्पष्ट किया कि यह क्षेत्र हूती नियंत्रण में है और मान्यता प्राप्त सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं.
निमिषा प्रिया के परिवार की पहल
प्रिया की मां प्रेमकुमारी ने यमन जाकर पीड़ित परिवार को "ब्लड मनी" देकर बेटी को बचाने की कोशिश की थी, जो वहां के कानून के तहत एक वैकल्पिक उपाय है. हालांकि, ‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ के मुताबिक अब यह रास्ता भी बंद होता दिख रहा है.
इस संगठन ने पीड़ित परिवार को 1 मिलियन डॉलर यानी करीब 8.5 करोड़ रुपये की पेशकश की है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि परिवार कितनी राशि स्वीकार करेगा. संगठन के सदस्यों का कहना है कि वे अगले दो दिनों में फिर से संपर्क साधने की कोशिश करेंगे.
फांसी की तैयारी शुरू
मानवाधिकार कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बस्करन ने बताया कि सरकारी अभियोजक की ओर से जेल प्रशासन को फांसी की प्रक्रिया शुरू करने के लिए पत्र भेजा गया है. इससे संकेत मिलता है कि निमिषा प्रिया के पास अब समय बहुत कम बचा है.
मामला क्या है?
2008 में यमन गई नर्स निमिषा प्रिया ने एक स्थानीय व्यापारी तलाल अब्दो महदी के साथ साझेदारी में क्लिनिक खोला था. प्रिया के अनुसार, तलाल ने दस्तावेज़ों में हेराफेरी कर खुद को उसका पति घोषित कर दिया और फिर उसका शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण शुरू कर दिया. उसका पासपोर्ट छीन लिया गया और ड्रग्स का इस्तेमाल कर उस पर नियंत्रण की कोशिश की गई.
एक दिन प्रिया ने स्थानीय जेल वार्डन की मदद से महदी को बेहोश करने की योजना बनाई, लेकिन दवा की अधिक मात्रा से उसकी मौत हो गई. इसी मामले में उन्हें हत्या का दोषी ठहराया गया. अब भारत सरकार, परिवार और सामाजिक संगठन मिलकर समय के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं, ताकि एक भारतीय नागरिक को विदेश में न्याय मिल सके.


