भारत वापस आएगा कोहिनूर हीरा? ब्रिटिश मंत्री ने बेशकीमती डायमंड को लौटाने पर दी ये प्रतिक्रिया
यूनाइटेड किंगडम की संस्कृति, मीडिया और खेल मंत्री लिसा नंदी ने भारत यात्रा के दौरान भारत-ब्रिटेन सांस्कृतिक सहयोग को लेकर सकारात्मक संकेत दिए. कोहिनूर हीरे की वापसी से जुड़े सवालों के बीच उन्होंने सांस्कृतिक धरोहरों तक साझा पहुंच के लिए जारी वार्ता का ज़िक्र किया. उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच रचनात्मक और विरासती क्षेत्रों में साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में नए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसमें विरासत संरक्षण और डिजिटलीकरण प्रमुख बिंदु हैं.

यूनाइटेड किंगडम की संस्कृति, मीडिया और खेल मंत्री लिसा नंदी ने हाल ही में भारत दौरे के दौरान स्पष्ट किया कि उनका देश भारत के साथ सांस्कृतिक धरोहरों की साझी पहुंच पर गंभीरता से विचार कर रहा है. यह बयान तब आया जब उनसे कोहिनूर हीरे को लौटाने संबंधी भारत की मांग के बारे में सवाल किया गया. नंदी ने बताया कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से इस विषय पर संवाद जारी है और उद्देश्य यही है कि ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहरों को दोनों देशों के लोगों के लिए अधिक आसान बनाया जा सके.
कोहिनूर हीरे की हिस्ट्री
कोहिनूर 108 कैरेट का प्रसिद्ध हीरा 1849 में पंजाब के अंतिम महाराजा दुलीप सिंह द्वारा ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को सौंपा गया था. बाद में यह ब्रिटिश राजपरिवार की शाही गहनों का हिस्सा बना और 1937 में महारानी एलिजाबेथ (क्वीन मदर) ने इसे अपने मुकुट में धारण किया. भारत इसे अपनी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा मानता है और इसे लौटाने की मांग लंबे समय से करता रहा है.
रचनात्मक क्षेत्रों में सहयोग
लिसा नंदी ने इस यात्रा के दौरान भारत और ब्रिटेन के बीच रचनात्मक क्षेत्रों में गहराते संबंधों पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि फिल्म, संगीत, फैशन, गेमिंग और टीवी जैसे क्षेत्रों में दोनों देश वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली हैं, और मिलकर कार्य करने से इन क्षेत्रों में नया विस्तार हो सकता है. उन्होंने यह भी बताया कि संयुक्त प्रदर्शनी, संग्रहों की यात्रा और सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रमों के माध्यम से दोनों देशों के लोगों को सांस्कृतिक धरोहरों से लाभ पहुंचाया जाएगा.
नई सांस्कृतिक साझेदारी का समझौता
नंदी ने नई दिल्ली में पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ एक नए सांस्कृतिक सहयोग एमओयू पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते का उद्देश्य कला और विरासत के माध्यम से भारत और ब्रिटेन के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और दोनों देशों के सांस्कृतिक संस्थानों व रचनात्मक व्यवसायों के बीच दीर्घकालिक सहयोग को प्रोत्साहित करना है.
विरासत संरक्षण और डिजिटलीकरण पर फोकस
यह साझेदारी केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें विरासत संरक्षण, संग्रहालय प्रबंधन और ऐतिहासिक संग्रहों के डिजिटलीकरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी ध्यान दिया जाएगा. इसके तहत यूके के कई प्रमुख सांस्कृतिक संस्थान जैसे ब्रिटिश म्यूजियम, ब्रिटिश लाइब्रेरी, नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, साइंस म्यूजियम ग्रुप और वी एंड ए म्यूजियम भारत के साथ मिलकर काम करेंगे.


