क्या अमेरिका के लिए आफत बनेगा ट्रंप का टैरिफ...जानिए कैसे 2026 में US को लग सकता है करारा झटका
भारत 1 जनवरी 2026 से ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालेगा, ऐसे समय में जब अमेरिकी टैरिफ नीति ने भारत, चीन और रूस जैसे देशों को और करीब ला दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 100 प्रतिशत टैरिफ की धमकी ने ब्रिक्स देशों को और मजबूत किया है.

नई दिल्ली : 1 जनवरी 2026 से भारत ब्रिक्स देशों की अध्यक्षता संभालेगा. यह समय वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है. अमेरिकी टैरिफ नीति ने भारत, चीन और रूस जैसे बड़े शक्तिशाली देशों को और करीब ला दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ब्रिक्स सदस्य देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी ने समूह के भीतर सहयोग को मजबूती दी है. ऐसे समय में भारत की अध्यक्षता नई दिशा और सामरिक महत्व लेकर आएगी.
कृषि और खाद्यान्न सुरक्षा में BRICS का योगदान
BRICS के आर्थिक और रणनीतिक महत्व
ब्रिक्स समूह में वर्तमान में 11 देश शामिल हैं – भारत, चीन, रूस, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, ईथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब, UAE और इंडोनेशिया. ये देश विश्व के कुल कच्चे तेल उत्पादन का लगभग 42 प्रतिशत नियंत्रित करते हैं. इसके अलावा, ब्रिक्स का वैश्विक जीडीपी में 29 प्रतिशत योगदान है. इसके माध्यम से ब्रिक्स देशों ने अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. इन देशों ने अपनी मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने की अनुमति दी है, जिससे अमेरिकी आर्थिक प्रभुत्व को चुनौती मिल रही है.
भारत की रणनीतिक भूमिका और वैश्विक नेतृत्व
भारत ब्रिक्स अध्यक्षता के तहत वैश्विक मंच पर अपनी नेतृत्व क्षमता और रणनीतिक महत्व को और मजबूती देगा. भारत का उद्देश्य है ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को बढ़ाना, वैश्विक व्यापार और निवेश को आसान बनाना, और आर्थिक आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करना. साथ ही, भारत का यह कदम वैश्विक सियासी और आर्थिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि 2026 के अंत तक ब्रिक्स देशों की साझा नीतियां अमेरिका के वैश्विक प्रभुत्व को चुनौती देंगी.
भविष्य की संभावनाएं
भारत की अध्यक्षता में ब्रिक्स सदस्य देश आपसी सहयोग, निवेश, प्रौद्योगिकी, और रणनीतिक साझेदारी के नए आयाम स्थापित करेंगे. यह वैश्विक राजनीति में भारत की सक्रिय भागीदारी और अन्य शक्तिशाली देशों के साथ संतुलन बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. कृषि, ऊर्जा, वित्त, और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में यह साझेदारी दीर्घकालिक स्थायित्व और विकास को बढ़ावा देगी.


