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नए साल पर नैनीताल जैसी बोटिंग का मजा, गोरखपुर के चिलुआताल में लें अनुभव

गोरखपुर अब धार्मिक और ऐतिहासिक पहचान के साथ-साथ पर्यटन के लिए भी उभर रहा है, जहां चिलुआताल और रामगढ़ ताल में बोटिंग और झील के किनारे घूमने का अनुभव मिल रहा है.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

अगर आप नैनीताल जैसी बोटिंग और झील के किनारे घूमने का अनुभव लेना चाहते हैं, लेकिन पहाड़ों तक जाना आपके लिए संभव नहीं है तो अब पूर्वी उत्तर प्रदेश का गोरखपुर एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभर रहा है. आमतौर पर धार्मिक और ऐतिहासिक पहचान के लिए जाना जाने वाला यह शहर अब धीरे-धीरे पर्यटन के नक्शे पर अपनी अलग जगह बना रहा है. 

गोरखपुर का रामगढ़ ताल

यहां की झीलें और बोटिंग स्पॉट्स आपको पहाड़ी हिल स्टेशनों की याद दिला सकते हैं. नए साल के मौके पर परिवार के साथ सुकून भरा समय बिताने के लिए गोरखपुर के ये टूरिस्ट स्पॉट्स काफी आकर्षक साबित हो सकते हैं. गोरखपुर का रामगढ़ ताल पहले से ही लोगों के बीच लोकप्रिय है, लेकिन अब चिलुआताल को भी एक नए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है. 

योगी सरकार की पहल पर चिलुआताल को आधुनिक सुविधाओं से सजाया-संवारा गया है. यहां 570 मीटर लंबा पाथवे तैयार किया गया है, जिससे लोग ताल के चारों ओर घूम सकें. इसके अलावा करीब 70 मीटर तक घाट की सीढ़ियां बनाई गई हैं, ताकि लोग आसानी से झील के पास पहुंच सकें. ताल के किनारे रेलिंग, सोलर लाइट, बेंच, इंटरलॉकिंग सड़क, सीसी रोड और सुंदर लाइटिंग की व्यवस्था की गई है, जो शाम के समय जगह को और भी आकर्षक बना देती है.

चिलुआताल में बोटिंग की सुविधा

चिलुआताल में बोटिंग की सुविधा भी शुरू की जा रही है, जिसका उद्घाटन नए साल के आसपास होने की उम्मीद है. हालांकि अभी बोटिंग टिकट की कीमत तय नहीं की गई है, लेकिन सुबह और शाम यहां मॉर्निंग वॉक और सैर के लिए लोगों की आवाजाही शुरू हो चुकी है. शांत पानी, ठंडी हवा और झील के किनारे बनी सड़कें यहां का माहौल बेहद सुकूनभरा बना देती हैं.

वहीं, रामगढ़ ताल पहले से ही गोरखपुर का प्रमुख आकर्षण रहा है. यहां परिवार के साथ पिकनिक मनाने, बोटिंग करने और झील के किनारे समय बिताने के लिए लोग बड़ी संख्या में आते हैं. बच्चों के लिए पार्क, वॉकिंग ट्रैक और फूड जोन जैसी सुविधाएं इसे और खास बनाती हैं. शाम के वक्त यहां डूबते सूरज का नजारा बेहद मनमोहक होता है, जो नए साल के जश्न को यादगार बना सकता है.

अगर आप नेचर और वाइल्डलाइफ के शौकीन हैं, तो गोरखपुर से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित महाराजगंज की सोहगीबरवा सैंक्चुअरी भी एक शानदार विकल्प है. घने जंगल, प्राकृतिक माहौल और जंगल सफारी का अनुभव बच्चों और बड़ों दोनों को पसंद आता है. यहां बाघ, तेंदुआ, हिरण जैसे कई जानवर देखने का मौका मिल सकता है। कुल मिलाकर, गोरखपुर अब सिर्फ धार्मिक नगरी नहीं रहा, बल्कि घूमने और एंजॉय करने के लिए भी एक उभरता हुआ पर्यटन केंद्र बनता जा रहा है.

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27 December 2025, 03:19 PM IST

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