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रिश्तों में तारीखों का बोझ बन रहा है प्यार का दुश्मन? जानिए क्यों

आजकल रिश्तों में 'Arbitrary-versary' यानी मनमानी सालगिरहों का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है. पहले जहां सिर्फ शादी या जन्मदिन की सालगिरह मनाई जाती थी, अब लोग पहली किस, पहली किचन डेट या इंस्टाग्राम पासवर्ड शेयर करने जैसी छोटी-छोटी बातों की भी सालगिरह मनाने लगे हैं.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

आज के रिश्तों में सालगिरह मनाना सिर्फ शादी या पहली मुलाकात तक सीमित नहीं रहा. अब तो पहली बार साथ खाना पकाने से लेकर इंस्टाग्राम पासवर्ड शेयर करने तक, हर छोटी बात को 'सेलीब्रेट' करने की होड़ सी लग गई है. ऐसे ही कुछ खास या कम खास पलों को "Arbitrary-versary" यानी मनमाने जश्न के रूप में मनाया जाता है. लेकिन क्या ये छोटे-छोटे सेलिब्रेशन रिश्तों को गहरा बनाते हैं या उन्हें उलझाते हैं?

रिश्तों के जानकारों का मानना है कि किसी तारीख को याद रखना या उसे सेलिब्रेट करना जरूरी नहीं है. असली बात है अपने पार्टनर के लिए लगातार प्यार, समझ और सम्मान दिखाना.

क्या है Arbitrary-versary?

"Arbitrary-versary" शब्द का मतलब है—ऐसी तारीखों का सेलिब्रेशन जो जरूरी नहीं कि बहुत बड़ी हों, लेकिन फिर भी रिश्ते में एक छोटी सी मिठास घोल देती हैं.इस टर्म को सबसे पहले पॉलीअमरी एक्सपर्ट लॉरा बॉयल ने पेश किया था. उनके मुताबिक, “ये अजीब या अनोखी सालगिरहें बस समय के बीतने का जश्न मनाने का एक मज़ेदार तरीका हैं, जब आप किसी से प्यार करते हैं और आगे भी उस रिश्ते को निभाना चाहते हैं.”

क्यों बनते हैं ये मौके खास?

लॉरा अपने ब्लॉग में लिखती हैं, “मैं वो पार्टनर हूं जो जानता है कि यह हमारी असली सालगिरह नहीं है, फिर भी मैं ‘हमारे पहले किस की सालगिरह मुबारक’ जैसे मैसेज भेजता हूं.” ये सुनने में प्यारा लगता है, लेकिन क्या हर छोटी बात को सेलिब्रेट करना रिश्तों को और भी उलझा देता है?

क्या सालगिरह याद रखना जरूरी है?

साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी टुंगैत कहती हैं, “अगर आप अपने पार्टनर के लिए लगातार उपस्थित रहते हैं, ध्यानपूर्वक सुनते हैं, सपोर्ट करते हैं और क्वालिटी टाइम बिताते हैं, तो किसी एक तारीख की अहमियत कम हो जाती है. ‘उस दिन’ को याद रखने से ज्यादा जरूरी है रोज़ के प्यार और समझ के इशारे.”

रिलेशनशिप में लाता है इमोशनल स्थिरता

डॉ. टुंगैत के मुताबिक, ये छोटे-छोटे सेलिब्रेशन हमारे दिमाग को एक पॉजिटिव अनुभव से जोड़ते हैं. “Arbitrary anniversaries एक तरह के ‘पॉजिटिविटी एंकर’ बन जाते हैं, जो तनाव भरे पलों में भी रिश्ते को मजबूत बनाए रखते हैं.” वो कहती हैं, “ये आपके बीच एक निजी भाषा बनाते हैं, जैसे 'लेट नाइट सबवे लाफ्स', जो रिश्ते को फिर से गर्मजोशी से भर देता है.” लेकिन एक चेतावनी भी है... हालांकि ये क्यूट सेलिब्रेशन रिश्ते को मज़बूत कर सकते हैं, लेकिन जरूरत से ज्यादा हो जाए तो ये एक और बोझ बन सकते हैं. अगर किसी रिश्ते में एक पार्टनर को हर समय ऐसे संकेतों की जरूरत महसूस होती है तो यह किसी गहरे असुरक्षा या ट्रस्ट इश्यू का संकेत भी हो सकता है.

समाधान क्या है?

इन मनमानी सालगिरहों को तभी मनाएं जब वो दिल से आएं, जबरदस्ती नहीं. ये छोटे उत्सव प्यार को गहरा बना सकते हैं, बशर्ते वे ईमानदारी, बातचीत और आपसी सम्मान की नींव पर टिके हों.डॉ. टुंगैत कहती हैं, “हर लम्हे को कैलेंडर इवेंट न बनाएं. संतुलन रखें – कुछ सच्चे, मजेदार और आपके लिए मायने रखने वाले पल ही चुनें, जो आपके रिश्ते की मिठास को बनाए रखें.”

रिश्ते में खुशियां किसी बड़ी तारीख से नहीं, बल्कि रोज़ के छोटे-छोटे इशारों से आती हैं. Arbitrary-versary एक अच्छा विचार हो सकता है, बशर्ते वह रिश्ते पर बोझ न बने. प्यार दिखाने के लिए 'ग्रैंड' जेस्चर ज़रूरी नहीं, 'सच्चा' जेस्चर काफी होता है.

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06 June 2025, 05:48 PM IST

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