सुअर की किडनी से शख्स को मिला नया जीवन, मेडिकल साइंस की ट्रांसप्लांटेशन में नई शुरुआत, जीन में बदलाव कर रचा इतिहास!
अमेरिका के मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में 66 वर्षीय मरीज टिम एंड्रयूज में जीन-संशोधित सुअर की किडनी का प्रत्यारोपण किया गया. यह प्रक्रिया जनवरी के अंत में की गई और सर्जरी के बाद मरीज की हालत स्थिर रही. महज एक हफ्ते में ही उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया, जिससे साफ है कि यह प्रत्यारोपण पूरी तरह सफल रहा.

किडनी प्रत्यारोपण के क्षेत्र में विज्ञानियों ने एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की है. पहली बार, जीन संशोधित सुअर की किडनी को इंसान में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया है, जिससे लाखों किडनी फेल्योर मरीजों के लिए नई उम्मीद जगी है. यह तकनीक उन मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकती है, जो लंबे समय तक डोनर किडनी के इंतजार में रहते हैं.
यह प्रत्यारोपण अमेरिका के मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में 66 वर्षीय व्यक्ति पर किया गया. सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ है और एक हफ्ते के भीतर अस्पताल से घर भेज दिया गया. यह मेडिकल इतिहास में चौथा मौका था जब सुअर की किडनी को इंसान में ट्रांसप्लांट किया गया. हालांकि, यह पहली बार था जब इस तरह का प्रत्यारोपण क्लिनिकल ट्रायल के तहत सफलतापूर्वक किया गया.
कैसे हुआ सुअर की किडनी का प्रत्यारोपण?
जनवरी के अंत में अमेरिकी डॉक्टरों ने सुअर की जीन मॉडिफाइड किडनी को 66 वर्षीय टिम एंड्रयूज में प्रत्यारोपित किया. टिम पहले से किडनी फेल्योर की समस्या से जूझ रहे थे और उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं था. सर्जरी सफल रही और उन्हें एक हफ्ते बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया.
पहला आधिकारिक क्लिनिकल ट्रायल
यह पहली बार है जब यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) द्वारा मंज़ूर किए गए क्लिनिकल ट्रायल के तहत सुअर की किडनी का प्रत्यारोपण किया गया है. इस ट्रायल के तहत तीन मरीजों का प्रत्यारोपण किया जाना है, जिसमें टिम एंड्रयूज पहले मरीज हैं. इससे पहले किए गए तीन अन्य ट्रांसप्लांट में से दो मामलों में मरीजों की जल्द ही मृत्यु हो गई थी, जिनमें से एक पहले से गंभीर रूप से बीमार था.
क्यों जरूरी हुआ सुअर के जीन में बदलाव?
अमेरिका में हर साल हजारों मरीज किडनी ट्रांसप्लांट के लिए वेटिंग लिस्ट में होते हैं, लेकिन इंसानी डोनर किडनी की भारी कमी रहती है. इस समस्या को दूर करने के लिए वैज्ञानिक सुअर के जीन को इस तरह से मॉडिफाई कर रहे हैं कि उनके अंगों को इंसानी शरीर आसानी से स्वीकार कर सके और रिजेक्ट न करे.
आगे क्या होगा? छह और मरीजों पर होगा ट्रायल
इस नई तकनीक को लेकर वैज्ञानिक बेहद उत्साहित हैं. आने वाले महीनों में एक अन्य क्लिनिकल ट्रायल शुरू होगा, जिसमें छह मरीजों पर जीन मॉडिफाइड सुअर की किडनी का प्रत्यारोपण किया जाएगा. अगर यह ट्रायल सफल रहता है तो मरीजों की संख्या बढ़ाकर 50 की जाएगी.
किडनी फेल्योर के मरीजों के लिए वरदान
अगर यह तकनीक सफल रहती है, तो दुनिया भर में किडनी फेल्योर से जूझ रहे मरीजों के लिए यह वरदान साबित हो सकती है. इंसानी अंगों की कमी से जूझ रहे हेल्थ सेक्टर के लिए यह शोध किसी क्रांतिकारी खोज से कम नहीं है.


